भोपाल
मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ व उनके पुत्र सांसद नकुल नाथ के साथ यदि कांग्रेस के कुछ विधायक भी पार्टी छोड़ देते हैं या निर्वाचन से पहले इस्तीफा दे देते हैं तो भी राज्यसभा चुनाव अप्रभावित रहेगा। कांग्रेस के अशोक सिंह निर्विरोध राज्यसभा में पहुंचेंगे। दरअसल, नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नामांकन पत्र जांच में विधिमान्य पाया गया है। चूंकि, मध्य प्रदेश से राज्यसभा की पांच सीटें रिक्त हो रही हैं और इतने ही नामांकन पत्र भरे गए हैं। 230 सदस्यीय विधानसभा में दलीय स्थिति ऐसी है कि भाजपा चार और कांग्रेस एक सदस्य को राज्यसभा भेजने की स्थिति में है। एक सदस्य के चुनाव के लिए 38 वोट चाहिए।
कांग्रेस के फिलहाल 66 विधायक हैं, लेकिन नामांकन रिक्त पांच सीटों के लिए पांच ही भरे गए हैं। इसमें चार भाजपा के एक कांग्रेस के प्रत्याशी शामिल हैं। राज्यसभा चुनाव में नामांकन पत्रों की जांच के बाद अब केवल नाम वापसी की प्रक्रिया शेष रह गई है। बीस फरवरी को तीन बजे तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। इस अवधि तक नाम वापसी नहीं होती है तो फिर रिटर्निंग आफिसर द्वारा निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा कर दी जाएगी। दरअसल, पांच स्थानों के लिए पांच ही नामांकन पत्र भरे गए हैं इसलिए मतदान की आवश्यकता ही नहीं है।
विधानसभा में सदस्य संख्या के हिसाब से भाजपा के चार और कांग्रेस का एक सदस्य चुना जाना निश्चित है। विधानसभा के प्रमुख सचिव और इसके पहले तक राज्यसभा चुनाव के लिए रिटर्निंग आफिसर बनते रहे एपी सिंह का कहना है कि जब नामांकन जमा हुए थे तब सदस्यों ने प्रस्तावक के तौर पर नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
जांच में किसी ने कोई आपत्ति भी नहीं उठाई, इसलिए अब चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है और इसके प्रभावित होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। यदि सदस्य विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र भी दे देते हैं तो भी चुनाव अप्रभावित रहेगा क्योंकि उसके स्वीकार होने के पूर्व सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी।