इंदौर
प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर पर आयकर विभाग द्वारा निकाली गई टैक्स की मांग खारिज कर दी गई है। चार साल पहले श्री रणजीत हनुमान मंदिर को आयकर विभाग ने ढाई करोड़ रुपये का टैक्स चुकाने का नोटिस जारी कर दिया था। बाद में कर की मांग 3.50 करोड़ तक पहुंच गई थी। इस पर पेनाल्टी और ब्याज अलग से मांग जा रही थी।
आयकर विभाग में मंदिर की ओर से इसके खिलाफ अपील की गई थी। अपील कमिश्नर ने मंदिर की अपील पर निर्णय देते हुए विभाग की टैक्स डिमांड और पूर्व के नोटिस खारिज कर दिए। मंदिर की ओर से पैरवी करने वाले टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सीए अभय शर्मा के अनुसार करीब चार साल पहले आयकर विभाग ने रणजीत हनुमान मंदिर को नोटिस जारी किया था।
नोटबंदी के समय मंदिर की दान पेटियों में 27 लाख से ज्यादा राशि आई थी। जिसे बाद में मंदिर ने अपने बैंक खातों में जमा करवाया था। नोटबंदी के समय मंदिर द्वारा बैंक में जमा कराई गई जमा राशि को विभाग ने कम्प्यूटराइज्ड स्क्रूटनी में अघोषित आय माना और टैक्स की मांग निकाल दी।
नियमानुसार मंदिर व धर्मार्थ ट्रस्ट को आयकर से छूट मिलती है। लेकिन रणजीत हनुमान मंदिर को जब नोटिस मिला था तब तक मंदिर न तो ट्रस्ट के अधीन था और न ही आयकर में धारा 12-ए एवं 80-जी में रजिस्टर्ड था। ऐसे में मंदिर को आयकर ने स्वतंत्र करदाता माना था।
पहले आयकर ने दो करोड़ रुपये की टैक्स मांग निकाली। बाद में उसे बढ़ाकर 3.5 करोड़ की जमा करने का निर्देश दिया। तत्कालिन कलेक्टर लोकेश जाटव ने मामले में अपील करने के निर्देश दिए। सीए शर्मा के अनुसार पहले तो मंदिर का पक्ष रखते हुए विभाग के नोटिस पर स्टे मिला।
अब अंतिम निर्णय मंदिर के पक्ष में आया है। यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल शहर और मध्य प्रदेश में के कई ऐसे मंदिर, मठ और गुरुद्वारे आदि हैं जो आयकर विभाग में रजिस्टर्ड नहीं हैं? रणजीत हनुमान मंदिर के प्रकरण का संदर्भ देते ऐसे सभी धार्मिक संस्थानों को भी आयकर की मांग से राहत मिलने की उम्मीद जाग गई है।