- आरोपों के बाद भी मनेरी प्राचार्य ने प्रभार लेने का कर दिया आदेश!
- मनेरी सहायक ग्रेड 2 पर है लाख 68 हजार के घोटाले का आरोप!
- सहायक आयुक्त आदिवासी जनजाति कार्य विभाग द्वारा आरोपों के कारण किया गया था निवास बीईओ मे संलग्न!
- स्थापना, लेखा का प्रभार लेने से पूर्व दस्तावेजों मे हो सकती है छेड़छाड़?
मण्डला
संभागीय उपायुक्त, जनजातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास, जबलपुर संभाग जबलपुर द्वारा पत्र क्रमांक / सं.उपा/जकवि/शिकायत/2023/7093 दिनांक-3/11/23 को कारण बताओ नोटिस जारी कर गोपाल प्रसाद साहू (सहायक ग्रेड 2), शा.उ.मा.वि. मनेरी वि.ख. निवास, नोटिस मे कहा है कि आपके विरूद्ध प्राप्त शिकायत के संबंध में कार्यालयीन गठित समिति द्वारा दिनांक 26.10.2023 को संस्था में उपस्थित होकर 01से 09 बिंदुओं की जांच की गई उक्त जांच में आपके विरूद्ध आरोप प्राप्त हुए जिससे स्पष्ट होता है, कि आपके द्वारा पदीय दायित्व के निर्वहन में स्वेच्छाचारिता की गई है। जो कि म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 का उपनियम-3-क (अ,ब,स) के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है। उक्त कृत्य के लिये क्यों न आपके विरूद्ध निलंबन की कार्यवाही की जावे ?
पूर्व मे एसी ने किया था आरोपों के तहत निवास बीईओ आफिस संलग्न-
पूर्व मे सहायक ग्रेड 2 पर आरोपों के तहत: कार्यालय सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग, मंडला, द्वारा पत्र क्र./सहा.आयु. /सा.स्था./2023 / 3330 दिनांक 25/07/2023 को आदेश जारी कर गोपाल प्रसाद साहू सहायक ग्रेड-2 शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मनेरी विकास खंड निवास जिला मंडला को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश पर्यन्त कार्यालय विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय निवास (मंडला) में कार्य करने हेतु आदेशित किया गया है।
संभागीय उपायुक्त जबलपुर की दोहरी नीति!
पूर्व प्राचार्य को किया निलंबित, सहायक ग्रेड 2 को अनियमिताओं के सुधार हेतु दिया स्मरण पत्र-
संभागीय उपायुक्त आदिवासी जनजाति कार्य विभाग जबलपुर की कार्य पद्धति भी संदेह के घेरे में है निरंतर कर्मचारियों के स्थिति एवं सिफारिश के अनुरूप आदेश किया जा रहे हैं चाहे बात शिक्षकों की संलग्नकरण की हो या विभागीय जांच की?
एक ओर उनके द्वारा कारण बताओं नोटिस देकर तत्काल निलंबित कर दिया जाता है वहीं दूसरी ओर जांच उपरांत आरोपों को सिद्ध कर पुष्टि करते हुए कारण बताओं नोटिस देकर कुछ दिवस उपरांत पुन: अपूर्ण कार्य पूर्ति हेतु स्मरण पत्र दिया जाता है ऐसे ही उपायुक्त कार्यालय के एक आदेश में सहायक ग्रेड 2 गोपाल साहू को अपने पत्र क्रमांक 09 दिनांक 02/01/2024 को देकर यह आदेशित किया गया कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मनेरी विकास खण्ड निवास के वित्तीय अवलेख पूर्ण करें। किन्तु लगभग तीन सप्ताह का समय हो जाने के बाद भी आपके द्वारा अभिलेखों को पूर्ण नही किया गया। जबकि आपको पूर्व मे भी इस कार्यालय द्वारा आपको सूचना पत्र जारी किया गया किन्तु आपकी कार्यप्रणाली मे कोई सुधार नही आया। क्यों न यह माना जायेगा की आप अपने दायित्व पर कोई रूचि नही ले रहे हैं। क्यों न आपके विरुद्ध निलंबन की कार्यवाही की जायेगी जिसके जबावदार आप स्वयं होंगे।
किंतु अनियमित के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई
आरोपों के बाद प्राचार्य ने दिया स्थापना लेखा लेने का आदेश –
वहीं वरिष्ठ कार्यालय ही नहीं बल्कि हायर सेकंडरी मनेरी वर्तमान प्राचार्य द्वारा भी इतनी अनियमिताओं के बाद गोपाल प्रसाद साहू "सहायक ग्रेड 2" से सामंजस स्थापित करने में लगे हुए हैं, अनियमित्ताओं मे वरिष्ठ कार्यालय द्वारा दोषी मानकर उन्हें नोटिस जारी किया जा चुका है जिससे विभाग द्वारा दोषमुक्त नही किया गया बावजूद वर्तमान प्राचार्य मनेरी द्वारा आदेश क्र०/शि.स्था./सं०प्राचार्य/स्था./2024/292 दिनांक 05/02/2024 को जारी किया है जिसमें कहा है कि "गोपाल प्रसाद साहू (सहा0ग्रेड 02) शाउमावि०मनेरी इस संकुल से संबंधित स्थापना एवं लेखा का संपूर्ण प्रभार श्री सुभेन्दु कुमार दास (प्रभारी प्राचार्य) से प्राप्त करने हेतु निर्देशित किया जाता है।"
जबकि श्री साहू को सहायक आयुक्त द्वारा कार्य में अनियमितता एवं लापरवाही बरतने पर निवास बीईओ आफिस मे संलग्न किया गया है, और उपायुक्त ने 01 से 09 बिन्दुओं की जांच मे दोषी पाया है! अब यह विषय समझ से परे है? वरिष्ठ कार्यालय के आदेश प्रभावशील है या प्राचार्य के? या फिर यह सब वरिष्ठ कार्यालय के अधिकारियों के संरक्षण में किया जा रहा है स्थिति गंभीर है आखिर सहायक ग्रेड 2 को इतना संरक्षण क्यों?? कार्यवाही से क्यों डर रहा है विभाग?? या तो फिर वर्तमान प्राचार्य ने किस मंशा से इन्हें स्थापना एवं लेखा का प्रभार लेने को आदेशित किया जो बड़ी लापरवाही की ओर इशारा करता है। क्योंकि ऐसी स्थिति दस्तावेजों मे छेड़खानी होने की पूर्ण संभावना को आमंत्रित करती है। यहां साफ जाहिर होता है कि वर्तमान प्राचार्य द्वारा लापरवाहियों को संरक्षण दिया जा रहा है देखना यह है क्या वरिष्ठ कार्यालय के अधिकारियों द्वारा इन्हें कोई निर्देश प्राप्त हुआ है या नहीं या मामला विचाराधीन है।