Home मध्यप्रदेश बुरहानपुर के केलो की खाड़ी देशों इराक, ईरान, दुबई, बहरीन और तुर्की...

बुरहानपुर के केलो की खाड़ी देशों इराक, ईरान, दुबई, बहरीन और तुर्की में मांग

10
0

बुरहानपुर
अपनी मिठास और ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होने के गुणों के कारण बुरहानपुर के केले ने विदेशी बाजार में तेजी से अपनी पहचान बनाई है। खासतौर पर खाड़ी देशों इराक, ईरान, दुबई, बहरीन और तुर्की में यहां के केले की खासी मांग है। जिले के केला उत्पादक किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलने के कारण उनकी आमदनी भी बढ़ी है। जिले के किसान इससे समृद्ध हो रहे हैं। बुरहानपुर के केले के कारण मध्य प्रदेश भी विदेशों में पहचान बना रहा है। वर्तमान में जिले के 19 हजार से ज्यादा किसान 23 हजार 650 एकड़ में केले की खेती कर रहे हैं। सालाना औसतन 16.54 मीट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है। इसे केंद्र की योजना एक जिला एक उत्पाद में भी शामिल किया गया है। इससे निर्यात के अवसर बढ़े हैं। जिले में मुख्य रूप से जी-9, बसराई, हर्षाली, श्रीमंथी किस्में उगाई जा रही हैं।

इसके अलावा यहां बनने वाले केले के चिप्स भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। इसकी सप्लाई देश के कई राज्यों में की जा रही है। वर्तमान में सरकारी मदद से केला चिप्स की तीस से ज्यादा इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं। कुछ इकाइयों में केले का पावडर भी तैयार किया जा रहा है। यही वजह है कि बीते दिनों राष्ट्रीय स्तर पर एक जिला एक उत्पाद पुरस्कारों में बुरहानपुर को स्पेशल मेंशन श्रेणी का पुरस्कार दिया गया है।

दापोरा में पीढ़यों से कर रहे केले की खेती
जिला मुख्यालय से 16 किमी दूर दापोरा गांव में करीब 60 एकड़ जमीन में खेती करने वाले प्रवीण पाटिल का कहना है कि गांव के अधिकांश किसान पीढ़ियों से केले की खेती करते आ रहे हैं। उन्होंने अपने पिता और दादा से खेती के गुर सीखे। प्रवीण बताते हैं कि पहले इतना मुनाफा नहीं होता था। नई तकनीक, सरकारी मदद व मौसम अनुकूल रहने से बीते दो सीजन से अच्छा मुनाफा हो रहा है। बाजार में मांग बढ़ने पर दो से ढाई हजार रुपये प्रति क्विंटल दाम मिले हैं। उन्होंने बताया कि इसकी खेती में प्रति पौधा करीब 140 रुपये लागत आती है। करीब पांच सौ पौधे लगाने पर पांच सौ क्वंटल तक उत्पादन होता है। सीएमवी वायरस जरूर नुकसान पहुंचाता है। यहां का केला दिल्ली और हरियाणा तक जाता है।

इच्छापुर में भी हैं केला उत्पादक किसान
जिला मुख्यालय से 19 किमी दूर इच्छापुर गांव में भी केला उत्पादक किसानों की संख्या ज्यादा है। करीब 25 एकड़ जमीन में खेती करने वाले किसान राहुल चौहान बचपन से केले की खेती सीख गए थे। 17 सदस्यों के संयुक्त परिवार में रहने वाले राहुल चार भाइयों में सबसे बड़े हैं। लाभ और हानि के बारे में विस्तार से समझाते हुए वे कहते हैं कि यह सब मौसम और बाजार के व्यवहार पर निर्भर करता है। पूर्वजों का मानना था कि ज्यादा पौधे ज्यादा उपज देंगे। प्रति एकड़ डेढ़ लाख से ज्यादा का शुद्ध मुनाफा होता है। यदि अच्छी तरह से देखभाल हो जाए तो प्रति गुच्छा 30 से 35 किलोग्राम तक का होता है। इसी तरह शाहपुर गांव के राजेंद्र चौधरी भी केले से बेहतर आय ले रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here