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विधायक से लेकर मुख्यमंत्री दुःखी, पता नहीं पद कब चला जाए : गडकरी

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जयपुर विस परिसर में आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री ने कसा तंज
जयपुर।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को भले ही संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने पर विशेष बल दिया, परंतु गडकरी इस दौरान खुद को तंज कसने से नहीं रोक पाए। दरअसल, जयपुर में विधानसभा परिसर में संसदीय प्रणाली और जन अपेक्षाएं विषय पर आयोजित कार्यशाला में दोनों ही नेताओं ने शिरकत की और इस दौरान लोगों को संबोधित भी किया।
दोनों नेताओं ने कहा कि यदि संसदीय लोकतंत्र मजबूत होगा तभी देश भी मजबूत होगा। कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा ने किया था। इस दौरान गडकरी ने विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री पर तंज भी कसे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे।
गडकरी ने कहा कि लोगों की भावनाओं को जीतकर आगे आना ही लीडरशिप कहलाता है। साइकिल, रिक्शों में लोगों को बैठे हुए जब एक व्यक्ति खींचता था तो यह देखकर मुझे दुख होता था, इसलिए ही ई रिक्शा शुरू करवाए। लेकिन अधिकारियों ने इसे गलत बताया। यह मामला कोर्ट तक गया, लेकिन मैंने कहा कि गरीब के लिए कानून तोड़ना पड़ेगा तो वह भी तोड़ूंगा।
इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने भाजपा में शामिल होने की अटकलों को नकारते हुए कहा कि हकीकत कुछ और ही है। उन्होंने कहा कि मुझ पर आरोप लगता है कि मैं भाजपा में शामिल हो रहा हूं, लेकिन मैं कही नहीं जा रहा हूं। आजाद ने कहा कि आज के समय में विधानमंडल लाचार होने के साथ बड़ी कठिनाइयों से गुजर रहे हैं।
00 गुलाम नबी आजाद ने कहा, संबंध होने चाहिए बेहतर
कार्यशाला के उद्धाटन सत्र में आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी और पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत से अपने संबंधों की चर्चा करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी से विपक्ष के नेता के संबंध बेहतर होने चाहिए। राजनीति में कटुता के लिए जगह नहीं होनी चाहिए। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने स्वर्गीय मदनलाल खुराना को मेरे पास भेजते हुए कहा कि इन्हें समझाना सदन कैसे चलता है।
00 नितिन गडकरी बोले, समस्या सबके साथ, हर कोई दुखी है
कार्यशाला के समापन सत्र में गडकरी ने कहा कि समस्या सब के साथ हैं। हर कोई दुखी है। विधायक मंत्री नहीं बनने के कारण दुखी है। मंत्री बन गए तो अच्छा विभाग नहीं मिलने से दुखी हैं। अच्छे विभाग के मंत्री बन गए तो मुख्यमंत्री नहीं बनने के कारण दुखी हैं।
मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे। यह माना जा रहा है कि गडकरी ने मंत्री और मुख्यमंत्री के दुखी होने का उदाहरण देकर नाम लिए बिना अपनी ही पार्टी पर तंज कसा है।