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PAK को खून के आंसू रुलाने वाले एयर मार्शल मोहिंदर सिंह बावा का 92 साल की उम्र में निधन

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नई दिल्ली
1971 के युद्ध के समय मोहिंदर जैसलमेर में स्टेशन कमांडर थे. उनके नेतृत्व और रणनीतिक सूझबूझ की वजह से पाकिस्तान के टैंकों को भारतीय वायुसेना के कैनबरा, मारूत, हॉकर हंटर और अन्य फाइटर जेट्स ने धज्जियां उड़ा दी थीं. 1932 में जन्में मोहिंदर अप्रैल 1953 में भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट बने. वायुसेना में लोग इन्हें प्यार से टाइगर या मिन्ही बुलाते थे. मोहिंदर 60वें पायलट कोर्स के प्रमुख सदस्य थे. इनके साथ वायुसेना के उस कोर्स में लीजेंड्स शामिल थे. जैसे- पिर्थी सिंह, टीके सेन, सतनाम शाह, पी. गौतम, केके सेन, वॉल्टर मार्शल और बीए कोएलो. बावा पहले बेगमपेट कन्वर्जन ट्रेनिंग यूनिट में तैनात थे. उस समय वो स्पिटफायर एयरक्राफ्ट (Spitfire Aircraft) उड़ाते थे. उसके एक्सपर्ट थे.

एक हादसे ने बदल दी थी जिंदगी, लेकिन लड़ाके हारते नहीं
पालम में 101 फोटोग्राफिक रीकॉन्सेंस स्क्वॉड्रन में रहे. मई 1954 बदलाव आया. जब उन्हें वैंपायर जेट (Vampire Jet) उड़ाने को दिया गया. 14 अगस्त 1954 में उनका वैंपायर एयरक्राफ्ट पेट बल क्रैश लैंड किया. तकनीकी कारणों से हादसा हुआ. पहली बार देश में हेलिकॉप्टर से कैजुअल्टी इवैक्युएशन किया गया. ये काम पालम के 114 हेलिकॉप्टर यूनिट ने किया था. हादसे के बाद मोहिंदर सिंह बावा को ग्राउंड ड्यूटी दी गई. वापस फाइटर पायलट बनने के लिए उन्हें मेडिकल क्लियरेंस की जरूरत थी. इस दौरान वो आदमपुर में 8वें विंग में काम करते रहे. 1958 में उन्हें मेडिकल क्लियरेंस मिला. इसके बाद उनकी पोस्टिंग 20वीं स्क्वॉड्रन में हुई. उन्होंने यहां पर हॉकर हंटर एयरक्राफ्ट (Hawker Hunter Aircraft) उड़ाना शुरू किया. यहां पर वो फ्लाइट कमांडर बने.

पायलटों को ट्रेनिंग भी दी, नए जेट की फ्लीट भी बनाई
इसके बाद वो फ्लाइंट इंस्ट्रक्टर स्कूल में गए. वहां फाइटर पायलट को ट्रेनिंग देने लगे. 1961 से अगले पांच साल तक उन्होंने नए फाइटर पायलट को ट्रेनिंग दी. जोधपुर में एयरफोर्स फ्लाइंग कॉलेज इसके बाद पटियाला में फ्लाइंट ट्रेनिंग यूनिट का हिस्सा रहे. ट्रेनिंग प्रोग्राम को लीड किया. 1966 में उन्हें वापास 17वीं स्क्वॉड्र का फ्लाइट कमांडर बनाया गया. देश के पूर्वी हिस्से में जोरहाट और हाशीमारा में तैनात मिली. वहां पर हॉकर हंटर्स उड़ाने का जिम्मा इनके हाथ में था. मार्च 1968 में उन्हें नए सुखोई-7 फाइटर जेट के साथ आदमपुर में 26वीं स्क्वॉड्रन बनाने का काम सौंपा गया. यह फाइटर जेट भारतीय वायुसेना का नया फाइटर-बॉम्बर था. मोहिंदर ने इसकी शानदार फ्लीट बनाई. उनके इस काम के लिए वायु सेना मेडल (VSM) से सम्मानित किया गया.

युद्ध के समय हमले की ट्रेनिंग सिर्फ बावा ही देते थे
नवंबर 1970 में मिन्ही को जामनगर के इंडियन एयरफोर्स आर्मामेंट ट्रेनिंग विंग का चीफ इंस्ट्रक्टर बनाया गया. यहां पर कई अन्य तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है. यहीं पर ऑपरेशनल ट्रेनिंग यूनिट भी है. यह उस समय का वायुसेना का टॉप गन हुआ करता था. इस सेंटर का काम था शांति के समय में पायलट को ट्रेनिंग देना. युद्ध के समय हमला करना.  1971 युद्ध के समय मोहिंदर सिंह बावा को जैसलमेर सेक्टर में ऑपरेशनल ट्रेनिंग यूनिट एक्टिव करने का निर्देश मिला. साथ ही कमांड संभालने का निर्देश मिला. 

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