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भारत ने संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में पर्यावरण सुरक्षा संबंधी सम्मेलन में जो वादे किये हैं उनको चाहिए 30 लाख करोड़ रुपये

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नई दिल्ली
भारत ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय तो कर लिए हैं, लेकिन इन्हें हासिल करने के लिए भारी भरकम निवेश की जरूरत है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में पर्यावरण सुरक्षा संबंधी सम्मेलन में जो वादे किये हैं उनको हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक 30 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। 13 फरवरी, 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने देश के एक करोड़ घरों की छत पर सोलर प्रणाली लगाने की सूर्य घर योजना को लॉन्च किया है। सिर्फ इस योजना के लिए 75 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। यह बात इंडियन रिनीवेबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (इरडा) के सीएमडी प्रदीप कुमार दास ने विश्व बैंक के तत्वाधान में 'ज्यादा तेज व स्वच्छ विकास' पर आयोजित सेमिनार में कही।
 
इरडा के CMD दास ने क्या कुछ कहा?
 भारत वर्ष 2030 से पहले दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनमी और वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बनने के लक्ष्य को लेकर आगे चल रहा है। इन लक्ष्यों को हासिल करने से भारत में ऊर्जा की मांग भी तेजी से बढ़ेगी। आगे बढ़ी हुई ऊर्जा मांग का तकरीबन 90 फीसद हिस्सा रिनीवेबल सेक्टर से पूरा किया जाएगा, लेकिन जब तक रिनीवेबल ऊर्जा को संरक्षित रखने की तकनीक हासिल नहीं होती तब तक ताप बिजली क्षमता का भी इस्तेमाल किया जाता रहेगा।

रिनीवेबल ऊर्जा की हिस्सेदारी को 50 फीसद करने का लक्ष्य
सनद रहे कि भारत तेजी से रिनीवेबल सेक्टर में अपनी क्षमता बढ़ा रहा है, लेकिन हाल ही में यह भी साफ किया है कि वह तकरीबन 80 हजार मेगावाट क्षमता के ताप बिजली संयंत्रों को भी स्थापित करेगा। भारत की कुल ऊर्जा क्षमता में रिनीवेबल ऊर्जा की हिस्सेदारी वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 50 फीसद करनी है। अभी भी यह 21 फीसद है। साफ है कि क्षमता बढ़ाने के लिए सोलर पैनल बनाने, इलेक्ट्रोलाइजर्स बनाने, बैट्री बनाने, ग्रीन हाइड्रोजन में क्षमता स्थापित करने और बायोगैस बनाने के लिए काफी ज्यादा फंड की जरूरत होगी। इसके लिए आवश्यक कर्ज मुहैया कराने की जिम्मेदारी वित्तीय संस्थानों को निभानी है।

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