जयपुर.
लोकसभा चुनावों के ठीक पहले भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने जुगाड़ जमाते हुए राजनीति कर रही हैं। हाल ही में वागड़ की सियासत के सबसे कद्दावर नेता महेंद्रजीत मालवीय को भाजपा में लाने का बेहद अहम पैंतरा पार्टी ने खेला है। बांसवाड़ा लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें डूंगरपुर, सागवाड़ा, चोरासी, घाटोल, गढ़ी, बांसवाड़ा, बागीदौरा और कुशलगढ़ शामिल हैं।
हालिया विधानसभा चुनावों में गढ़ी और सागवाड़ा ही भाजपा के हाथ आईं बाकी की छह में से 4 कांग्रेस और 2 भारत आदिवासी पार्टी के खाते में गईं। वागड़ क्षेत्र में महेंद्रजीत मालवीय के प्रभाव की बात करें तो उनके कहने पर कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में यहां 4 टिकट दिए थे, जिनमें से 3 पर पार्टी को जीत मिली। भाजपा द्वारा मालवीय को साधने के सीधा सा मतलब बांसवाड़ा लोकसभा की उन तीन सीटों पर कब्जा करना है, जिन पर अभी कांग्रेस काबिज है।
विस चुनावों में ही बिछा दी थी बिसात
देखा जाए तो हाल के विधानसभा चुनावों से ही महेंद्रजीत और भाजपा की नजदीकियां बढ़ने लगी थीं। भाजपा ने बांसवाड़ा सीट से मालवीय के कट्टर विरोधी अुर्जन बामनिया के खिलाफ मालवीय के बेहद नजदीकी रिश्तेदार धनसिंह रावत को टिकट दिया था। इतना ही नहीं अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी बामनिया को हराने के लिए महेंद्रजीत मालवीय ने अपने प्रभाव का भरपूर इस्तेमाल इन चुनावों में किया था। हालांकि बामनिया ये चुनाव जीत गए लेकिन मालवीय के इस कदम से उनके भाजपा आने के संकेत मिलने लगे थे।
गहलोत ने खेला नया दांव
वागड़ की राजनीति चंद आदिवासी नेताओं के ईर्दगिर्द ही रहती है। ऐसे में महेंद्रजीत मालवीय के भाजपा में जाने के संकेत मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मालवीय के धुर विरोधी अर्जुन बामनिया को आगे करना शुरू कर दिया है। शुक्रवार रात गहलोत ने अपने आवास पर दिनेश खोड़निया के साथ अुर्जन बामनिया, रमीला खड़िया और नानालाल निनामा से मुलाकात की। दिनेश खोड़निया वही व्यक्ति हैं, जिन पर चुनावों के दौरान पेपर लीक कांड के चलते ईडी के छापे पड़े थे। मालवीय की टक्कर में कांग्रेस के पास वागड़ में एक यही बड़ा आदिवासी चेहरा है। हालांकि गहलोत ने मालवीय गुट के रमीला खड़िया और नानालाल निनामा से भी बातचीत की है। कोशिश है कि मालवीय के साथ इन दोनों नेताओं को कांग्रेस से जाने से रोका जा सके। इसके लिए गहलोत ने दिनेश खोड़निया को जिम्मेदारी सौंपी है।
पिछली सरकार में कांग्रेस ने खोड़निया को मेवाड़ और वागड़ की जिम्मेदारी सौंपी थी। वैसे गौर करने लायक बात यह है कि कांग्रेस के जो भी नेता ईडी और इनकम टैक्स के निशाने पर हैं, वे देर-सवेर पाला बदल ही रहे हैं। महेंद्रजीत मालवीय खुद भी ईडी के निशाने पर थे। पिछली सरकार में जब वे जल संसाधन विभाग में मंत्री थे तो उनके व उनके नजदीकी अफसर के दफ्तर तक ईडी पहुंची थी।