Home राजनीति नेता ही नहीं सहयोगियों का भी कांग्रेस से छूटा साथ

नेता ही नहीं सहयोगियों का भी कांग्रेस से छूटा साथ

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मुंबई
 महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण आखिरकार बीजेपी में शामिल हो गए। वे कांग्रेस के नौवें मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने पिछले 10 सालों में बीजेपी का रुख किया। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए 10 पूर्व मुख्यमंत्रियों में सिर्फ एक ही नेता पार्टी में घर वापसी की। बाकी नेता कांग्रेस में नहीं लौटे। महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने को बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। दो बार खुद लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके अशोक चव्हाण को राज्य के मराठवाडा क्षेत्र का बड़ा नेता माना जाता था।

आठ पूर्व सीएम छोड़ चुके कांग्रेस

महाराष्ट्र में यूपी के बाद लोकसभा की सबसे ज्यादा 48 सीटें हैं। पार्टी को उम्मीद थी कि राज्य में पार्टी को अच्छी सीटें मिल सकती हैं, लेकिन पहले मिलिंद देवड़ा फिर बाबा सिद्दीकी और अब अशोक चव्हाण के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को लोकसभा प्लान बिगड़ गया है। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस को ऐना चुनावों से पहले किसी राज्य में झटका लगा है। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू से टकराव के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद भी कांग्रेस से अलग हुए थे। उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे अजित जोगी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एस एम कृष्णा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे पार्टी को छोड़ चुके हैं। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने भी पार्टी छोड़ी थी लेकिन वे फिर पार्टी में लौट आए हैं।

राणे के बाद चव्हाण दूसरे नेता

राणे को छोड़कर चव्हाण कांग्रेस के आठवें नेता हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री के दायित्व को संभालने के बाद पार्टी को छोड़ा है। महाराष्ट्र में ऐसा करने वाले वह नारायण राणे के बाद दूसरे मुख्यमंत्री हैं। नारायण राणे वर्तमान में केंद्र में मंत्री और राज्यसभा के सदस्य हैं। राणे बीजेपी-शिवसेना की गठबंधन सरकार के मंत्री बने थे। वे शिवसेना को छोड़कर कांग्रेस में आए थे। वे मुख्यमंत्री रहने के बाद कांग्रेस में आए थे और विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री बने थे।

बीजेपी में किया था विलय

राणे ने कांग्रेस को सितंबर, 2017 में छोड़ा था। इसके बाद महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाया था, लेकिन 2018 में उनहोंने बीजेपी को समर्थन दे दिया था। इसके बाद वह अक्टूबर, 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने पक्ष का बीजेपी में विलय कर दिया था। अशोक चव्हाण के बीजेपी से जुड़ने के बाद कांग्रेस को आने वाले दिनों मराठवाडा क्षेत्र में संगठन की चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव अब बेहद करीब हैं तब पार्टी इसे चुनौती से कैसे निपटेगी? यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं ये 13 बड़े नेता

अशोक चव्हाण – अशोक चव्हाण ने सोमवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने विधायक पद भी छोड़ दिया है। अशोक चव्हाण ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को इस्तीफा सौंपा। सूत्रों के मुताबिक, अशोक चव्हाण 13 बड़े नेताओं के साथ भाजपा जॉइन कर सकते हैं। इसके साथ ही महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज हो गई है।

बाबा सिद्दीकी – महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी शनिवार (10 फरवरी) को अजित पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) में शामिल हो गए। सिद्दीकी ने मुंबई में डिप्टी सीएम अजित पवार और NCP के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल सहित दूसरे नेताओं की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की। उन्होंने 8 फरवरी को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।

मिलिंद देवड़ा – मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से 14 जनवरी को इस्तीफा दिया था। इस्तीफा देने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, "आज मेरी राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन हुआ है। मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया है।"

कपिल सिब्बल – कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने 16 मई 2022 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने अपने इस्तीफे के एक हफ्ते बाद इसकी घोषणा की थी। उन्होंने बाद में समाजवादी पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद के तौर पर नामांकन भरा था।

गुलाम नबी आजाद – कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आज़ाद ने 2022 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। ये वह दौरान पार्टी छोड़ने वाले सबसे बड़े नेताओं में से एक थे। इस्तीफा 2022 में पार्टी द्वारा झेले गए सबसे बड़े निष्कासनों में से एक था। गुलाम नबी आजाद ने अब जम्मू-कश्मीर में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नाम से अपना दल बना लिया है।

हार्दिक पटेल – गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने मई 2022 में अपने त्याग पत्र के साथ राहुल गांधी को नाराज करते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी। राहुल गांधी हार्दिक को 2019 में पार्टी में लेकर आए थे। हार्दिक पटेल ने अपने त्याग पत्र में लिखा था कि पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता अपने फोन में ही व्यस्त रहते हैं। अपने त्याग पत्र के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।

अश्विनी कुमार – पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने पंजाब चुनाव से कुछ दिन पहले फरवरी 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के एक अनुभवी नेता रहे अश्विनी कुमार 2019 के चुनावों में हार के बाद पार्टी छोड़ने वाले पहले नेताओं में शामिल थे।

सुनील जाखड़ – सुनील जाखड़ ने पंजाब कांग्रेस इकाई का नेतृत्व किया था। उन्होंने 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने के लिए नेतृत्व द्वारा कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद वह मई में भाजपा में शामिल हुए और उसी साल जुलाई में उन्हें बीजेपी पंजाब इकाई का प्रमुख बना दिया गया था।

आरपीएन सिंह – पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह जनवरी 2022 को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वो उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले ऐसा करने वाले सबसे प्रमुख नेता बन गए। पिछड़ी जाति के प्रमुख नेता सिंह कथित तौर पर प्रियंका गांधी के नेतृत्व वाले यूपी अभियान में साइड लाइन किए जाने से नाराज थे।

ज्योतिरादित्य सिंधिया – ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उस दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस में बड़े पैमाने पर दलबदल हुआ, जिससे कमल नाथ सरकार गिर गई थी।

जितिन प्रसाद – जितिन प्रसाद पहले केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और राहुल गांधी के बेहद करीबी मानें जाते थे। जितिन प्रसाद ने 2021 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह भी बीजेपी में शामिल हो गए थे। उस दौरान वह यूपी में कांग्रेस के शीर्ष ब्राह्मण चेहरे थे। अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था कि भाजपा एकमात्र वास्तविक राजनीतिक पार्टी है।

अल्पेश ठाकोर – कांग्रेस के पूर्व विधायक अल्पेश ठाकोर ने जुलाई 2019 में दो राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने के बाद पार्टी छोड़ दी थी। कुछ दिनों बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें राधापुर से उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा गया, लेकिन वह चुनाव हार गए। हालांकि, पिछले साल हुए चुनाव में उन्होंने गांधीनगर दक्षिण से जीत हासिल की थी।

अनिल एंटनी – कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने पिछले साल जनवरी में पार्टी छोड़ दी और अगले महीने भाजपा में शामिल हो गए थे। भारत को विकास के रास्ते पर लाने के लिए बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की।

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