नई दिल्ली
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद यूपी से लेकर दिल्ली तक सियासत गरमा गई है। इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ एनडीए में शामिल होने की अटकलों के बीच शनिवार को संसद पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी के सुर बदले नज़र आए। बजट सत्र के दौरान वह सरकार के खेमे में बैठे दिखे तो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के ऐलान पर सरकार को धन्यवाद देते हुए बीजेपी और पीएम नरेन्द मोदी की जमकर तारीफ भी की। जयंत ने राज्यसभा में जैसे ही बोलना शुरू किया कांग्रेस के सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जानना चाहा कि किस नियम के तहत रालोद नेता को बोलने की अनुमति दी गई है? इस पर बाद में जयंत चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'चौधरी साहब (चौधरी चरण सिंह) के निधन के 37 साल बाद, एक सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है। अगर उन्हें (कांग्रेस) इसमें किसी तरह की गलती और कुछ 'बातचीत' दिख रही है, तो यह उनके वैचारिक पतन का प्रतीक है।' जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा अगले लोकसभा चुनाव में सात सीट रालोद को दिए जानेे की घोषणा के बावजूद इंडिया गठबंधन से अलग होने के अपने फैसले पर फिलहाल कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, 'मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा। ये बातें अंदरूनी और आपसी विश्वास की होती हैं। अखिलेश जी से मेरी जो बातचीत हुई आज मैं उनको लेकर कोई आलोचना नहीं करूंगा। जब समय पर हमारा गठबंधन (इशारा एनडीए की ओर) घोषित होगा, प्रक्रिया देश के सामने होगी तब बताऊंगा कि मैंने स्टैंड क्यों बदला! इसके पीछे क्या वजह रही।' बीजेपी पर दिए पुराने बयानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'ये बातें पहले भी होती थीं लेकिन पहले बयान दर्ज नहीं होते थे। आज इंटरनेट का जमाना है। आप आज 20 साल पुराना कोई बयान निकाल लीजिए। ऐसे तो 20 साल पहले जब मैंने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा था और मथुरा से सांसद बना था तब के भी बयान होंगे। एक एक्सपायरी डेट होती है। चुनाव अभियान के दौरान कोई बात कही गई। तब अमित शाह जी ने मेरे बारे में एक अच्छी बात कही थी और लोगों को जोड़े रखने के लिए मैंने वो बात कही। न मेरी मंशा अपमानित करने की थी न उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उन बातों को लिया। लिया होता तो क्या आज चौधरी चाहब को भारत रत्न मिलता। परिपक्व राजनीति में लोग जानते हैं कि असल मुद्दे क्या हैं?'
अपने लोगों, किसानों का भला कैसे होगा?
गठबंधन के सवाल पर रालोद प्रमुख ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत आस्था का सवाल नहीं है। रालोद के लिए मैं जिम्मेदार हूं। अपने लोगों का भला कैसे होगा? किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे निकाल पाऊंगा? इन विषयों को ध्यान में रखकर ही निर्णय लूंगा।