मॉस्को
क्या अब अगला युद्ध स्पेस में लड़ा जाएगा और वहीं से परमाणु हमलों का भी खतरा होगा? अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट इसी तरफ इशारा कर रही है, जो गहरी चिंता का विषय है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस इस बात पर मंथन कर रहा है कि कैसे स्पेस में परमाणु हथियारों को रखा जाए। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एक रिपब्लिकन सांसद ने रूस की इस योजना को लेकर चेताया है कि इससे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। पूरे मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि अभी रूस ने स्पेस में हथियारों की कोई तैनाती नहीं की है। इसे लेकर मंथन ही कर रहा है। फिर भी यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता की बात है। हालांकि आम लोगों के लिए फिलहाल कोई चिंता नहीं है।
अमेरिकी एजेंसियों का कहना है कि भले ही रूस की यह योजना अभी परवान नहीं चढ़ी है, लेकिन हमारे लिए चिंता की बात जरूर है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन गुरुवार को इसे लेकर एक अहम मीटिंग भी करने वाले हैं। इस बीच एक अमेरिकी सांसद ने राष्ट्रपति जो बाइडेन से मांग की है कि रूस के इस खतरनाक मिशन से जुड़ी जो भी जानकारियां हैं, उन्हें जनता से साझा किया जाए। उन्होंने कहा कि इसे बताने से पता चल सकेगा कि किस लेवल का खतरा है।
अमेरिकी एजेंसियों का कहना है कि ऐसी योजना हमारे लिए इस वक्त चिंता की बात है, जब गाजा और यूक्रेन में युद्ध चल रहे हैं। इनमें से एक जंग में तो उसका करीबी इजरायल ही शामिल है। इसके अलावा यूक्रेन में भी अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो संगठन को लगातार चैलेंज मिल रहा है। फिलहाल जेक सुलिवन भी इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। इस संबंध में सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि मैं अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं। बता दें कि कुछ समय पहले ही न्यूयॉर्क टाइम्स और एबीसी न्यूज ने भी अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि रूस स्पेस में न्यूक्लियर हथियार रखना चाहता है।
कई सालों से शीत युद्ध जैसे हालात में अमेरिका और रूस
गौरतलब है कि रूस और अमेरिका के बीच बीते कई सालों से शीत युद्ध जैसी स्थिति है। यूक्रेन पर रूस ने हमला किया तो अमेरिका सीधे युद्ध में तो नहीं उतरा, लेकिन उसने यूक्रेन की खूब मदद की। इसके अलावा इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध में भी अमेरिका फंसा हुआ है और उसे अरब देशों को मनाना पड़ रहा है। पिछले दिनों तो व्लादिमीर पुतिन ने तंज कसते हुए कहा था कि अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और पश्चिमी देशों को पता चल गया होगा कि रूस को हराया नहीं जा सकता।