वाशिंगटन
रूस का कहना है कि अमेरिका की वजह से रूस-भारत के बीच दोस्ती में दरार आ सकती है। भारत और रूस की दोस्ती को लेकर रूसी दूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि अमेरिका प्रतिबंधों के माध्यम से भारत और रूस के संबंधों को खतरे में डालने का प्रयास कर रहा है। अलीपोव का कहना है भले ही अमेरिका आज भारत का विश्वसनीय और खास दोस्त बना हुआ है मगर उसके इरादे नेक नहीं हैं।
अलीपोव ने समाचार एजेंसी आरटी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कहा, "भारत में रूस को एक विश्वसनीय, ईमानदार, नेक इरादे वाले, समय-परीक्षित मित्र के रूप में एक ठोस प्रतिष्ठा प्राप्त है। ऐसी छवि शुरू में भारतीय सामाजिक-आर्थिक विकास में यूएसएसआर के प्रमुख योगदान के कारण बनी थी, और यह इन दिनों भी काफी हद तक कायम है।" रूसी दूत ने मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि पश्चिमी सहयोगियों के विपरीत, भारत-रूस संबंधों में कभी भी राजनीति पर सशर्त सहयोग नहीं हुआ और न ही दोनों पक्षों ने कभी एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप किया।
रूस नहीं देता है घरेलू मामलों में दखल: अलीपोव
अलीपोव का कहना है कि रूस ने अन्य पश्चिमी देशों की तरह किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया। उन्होंने कहा, "हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप कई क्षेत्रों में हमारे संबंधों का लगातार विस्तार हो रहा है। लेकिन हमारे पश्चिमी साझेदारों के विपरीत, हमने कभी भी राजनीति पर सहयोग की शर्त नहीं रखी है, घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया है और हमेशा पारस्परिक रूप से सम्मानजनक और भरोसेमंद रिश्ते बनाए रखे हैं।" अलीपोव ने कहा इसलिए अब भी हम मुख्य रूप से एक साथ काम करते रहने और विनाशकारी एकतरफा दृष्टिकोण के कारण होने वाली बाधाओं को दूर करने के तरीके खोजने की ओर सकारात्मकता से देख रहे हैं।
अलीपोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने का मजबूत पक्ष रखते हुए संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों में तत्काल सुधार का भी आग्रह किया। रूसी दूत ने कहा, "हमारा विचार है कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत विश्व बहुमत, मुख्य रूप से वैश्विक दक्षिण के देशों के हितों पर केंद्रित एजेंडे के साथ-साथ संतुलन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।"
भारत-रूस की दोस्ती
उल्लेखनीय है कि रूस और भारत के बीच दशकों से समान हितों और ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित एक मजबूत रणनीतिक दोस्ती रही है। बड़े पैमाने पर रक्षा सहयोग दोनों देशों की दोस्ती के केंद्र में रहे हैं। इसके अलावा दोनों देश सैन्य अभ्यास, अत्याधुनिक सैन्य प्लेटफार्मों के साझा विकास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में हिस्सा लेते रहे हैं।