नई दिल्ली
देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एस. कृष्णमूर्ति ने चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले का स्वागत किया है और चुनावी बॉन्ड योजना को "असंवैधानिक" करार दिए जाने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनावी बॉन्ड को कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच का सांठगांठ करार दिया है।
पूर्व सीईसी ने कहा, "मैं फैसले से पूरी तरह सहमत हूं क्योंकि मैंने पहले भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि चुनावी बॉन्ड चुनावों में पैसा जुटाने का सही तरीका नहीं है।" उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना ने कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच सांठगांठ को बढ़ावा दिया है,जिसके परिणामस्वरूप नीति निर्माण की प्रक्रिया भी बाधित और प्रभावित हुई है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनावी बॉन्ड की जगह राजनीतिक दल कैसे फंड जुटा सकते हैं, उसके लिए भी सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के लिए फंड जुटाने का एकमात्र तरीका राष्ट्रीय चुनाव कोष है। उन्होंने कहा कि इसमें जो कोई भी व्यक्तिगत या कॉरपोरेट दान करे, उसे 100 फीसदी टैक्स छूट का लाभ दिया जाए। बकौल कृष्णमूर्ति, इसी फंड से सभी राजनीतिक दलों को चुनावों के दौरान राशि आवंटित की जानी चाहिए।
बता दें कि कांग्रेस ने पिछले साल एक राष्ट्रीय चुनाव कोष बनाने की मांग की थी और आरोप लगाया था कि मौजूदा चुनावी बॉन्ड की प्रक्रिया गलत और पूरी तरह से भ्रष्ट है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और लिखा, "यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करता है।" गौर करने वाली बात है कि 2022-23 में बीजेपी को 61% चंदा यानी करीब 1300 करोड़ रुपये सिर्फ चुनावी बॉन्ड के जरिए मिला है। यह उसी अवधि में कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड से मिले दान से लगभग सात गुना ज्यादा है।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने आज ही चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में भारतीय स्टेट बैंक को छह वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बैंक द्वारा दी गई जानकारी में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए।