नई दिल्ली
संसद की एक समिति ने सरकार से कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय और देश के 25 उच्च न्यायालयों पर अपनी इस सिफारिश पर जल्द से जल्द जवाब के लिए दबाव डाले कि न्यायाधीश लंबित मामलों की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए 'क्रमिक' छुट्टियों पर जा सकते हैं।
कानून और कार्मिक संबंधी स्थायी समिति ने ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनके सुधार’ पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट लोकसभा में पेश की।
समिति ने कार्रवाई रिपोर्ट में अपनी पिछली सिफारिश की याद दिलाई कि जिसमें इसने कहा था कि अलग-अलग समय में अलग-अलग न्यायाधीशों की छुट्टियों से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि अदालतें हर साल लगभग दो महीने तक बंद न रहें।
कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने समिति को बताया कि उसकी सिफारिश मंत्री की उचित मंजूरी के बाद उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को भेज दी गई है। सरकार ने कहा, ''उनके (अदालतों के) उत्तर की प्रतीक्षा है।''
समिति ने सरकार से कहा, ''विभाग वर्ष के अलग-अलग समय में व्यक्तिगत न्यायाधीशों द्वारा क्रमिक छुट्टियों के संबंध में समिति की सिफारिशों पर अपनी प्रतिक्रिया भेजने के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष यह मुद्दा जल्द से जल्द उठा सकता है, ताकि छुट्टियों के मसले का निदान हमेशा के लिए किया जा सके।''
इसमें कहा गया है कि एक बार इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय आ जाता है तो उसके बाद अदालतों के पास मुकदमे के निपटारे के लिए अपेक्षाकृत अधिक दिन होंगे और वे लंबित मामलों को कम करने तथा वर्तमान में वादकारियों को होने वाली असुविधाओं को कम करने में सक्षम होंगे।
संसदीय समिति ने पहले कहा था कि वह पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा के इस सुझाव को अपना मत मानती है कि सभी न्यायाधीशों को एक ही समय में छुट्टी पर जाने के बजाय अलग-अलग समय पर अपनी छुट्टी लेनी चाहिए, ताकि अदालतें लगातार खुली रहें और मामलों की सुनवाई के लिए हमेशा न्यायाधीश उपलब्ध रहें।