नईदिल्ली
देश में डीमैट खाताधारकों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन बाजार नियामक सेबी की ओर से डीमैट और म्यूचुअल फंड खातों में नॉमिनी जोड़ने की डेडलाइन तीन बार बढ़ाने के बावजूद 72% डीमैट खातों और 6% म्यूचुअल फंड्स खातों में नॉमिनी का ब्योरा नहीं है। सेबी की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 13.91 करोड़ डीमैट खाताधारकों में से 9.8 करोड़ लोगों ने अपने नॉमिनी का डिटेल नहीं दिया है। 9.51 करोड़ खाताधारकों ने जानबूझकर नामांकन नहीं करने का विकल्प चुना है। वहीं, लगभग 2.76% निवेशक असमंजस में हैं और उन्होंने न तो नॉमिनी दर्ज किया है और न ही बाहर निकलने का विकल्प चुना है।
खाताधारकों के लिए पैदा हो सकता है जोखिम
डीमैट के उलट म्यूचुअल फंड्स के 86% खातों में नॉमिनी डिटेल्स भरे गए हैं। 8.90 करोड़ म्यूचुअल फंड फोलियो में से केवल 6% ने नॉमिनेशन नहीं कर बाहर निकलने का विकल्प चुना है जबकि 8% ऐसे हैं जिन्होंने न तो नॉमिनी भरा है और न ही बाहर निकलने का विकल्प चुना है। सेबी का कहना है कि निवेशकों के इस रवैये से उनके लिए बड़ा जोखिम पैदा हो सकता है।
क्या है वजह
बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, डीमैट और म्यूचुअल फंड्स खातों के बीच इस अंतर के लिए काफी हद तक डिस्काउंट शेयर ब्रोकर्स जिम्मेदार हैं। ये नॉमिनेशन प्रक्रिया को नकारते हुए दरकिनार कर देते हैं। यानी खाताधारकों की सहमति के बिना नॉमिनेशन को अपडेट कर रहे हैं।
म्यूचुअल फंड के आंकड़े
वहीं, डीमैट के उलट म्यूचुअल फंड खातों में सबसे ज्यादा 86 फीसदी नॉमिनी डिटेल्स भरे गए हैं। कुल 8.90 करोड़ म्यूचुअल फंड खातों में से केवल छह फीसदी ने नॉमिनेशन न करके बाहर निकलने का विकल्प चुना है, जबकि आठ फीसदी ऐसे हैं, जो इसे लेकर असमंजस में हैं। उन्होंने न नॉमिनी भरा और न बाहर निकलने का विकल्प चुना है।
इसके पीछे की असली वजह: बाजार विश्लेषकों के अनुसार, डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड्स के बीच स्थिति के लिए नए शेयर ब्रोकर काफी हद तक जिम्मेदार हैं। ये नॉमिनेशन प्रक्रिया को नकारते हुए दरकिनार कर देते हैं। इसका मतलब हुआ कि वे खाताधारक की सहमति के बिना नॉमिनेशन को अपडेट कर रहे हैं।
तीन बार बढ़ चुकी है समय सीमा: इससे पहले सेबी नॉमिनी दाखिल करने की समयसीमा को अब तक तीन बार बढ़ा चुका है। सेबी ने चेतावनी दी थी कि अगर कोई इस प्रक्रिया का पालन नहीं करता है तो उसके डीमैट खाते को निष्क्रिय कर दिया जाएगा। 31 दिसंबर 2023 तक कुछ शेयर ब्रोकरों ने आखिरी तारीख से बचने के लिए बिना अधिक विवरण साझा किए नॉमिनेशन को अपडेट कर दिया था। इसके बाद सेबी ने एक बार फिर समयसीमा को बढ़ाकर 30 जून 2024 कर दिया है।
निवेशकों के लिए बड़ा जोखिम: मुंबई आधारित निवेश फर्म सोल्यूफिन की फाउंडर मोहिनी महादेविया ने मिंट को बताया कि कानूनी नॉमिनी के बिना संबंधित निवेशक के डीमैट खाता तक पहुंचना उत्तराधिकारियों के लिए कठिन हो जाता है। यह लंबी प्रक्रिया बन जाती है। इसके लिए संभावित रूप से वसीयत, सरकारी पत्र या उत्तराधिकार से संबंधित प्रमाणपत्रों को शामिल करना पड़ता है।
खातधारकों को हो सकता है नुकसान क्योंकि…
– 13.64 करोड़ डीमैट खातों में से 9.8 करोड़ अकाउंट्स ऐसे जिनमें अभी तक नॉमिनेशन डिटेल्स फाइल नहीं
– 69.73% यानी 9.51 करोड़ डीमैट अकाउंटहोल्डर्स ने जानबूझकर नॉमिनेशन नहीं करने का विकल्प चुना जबकि लगभग 2.76% असमंजस में हैं
– 8.91 करोड़ म्यूचुअल फंड फोलियो में से केवल 6% ने नॉमिनेशन नहीं करके बाहर निकलने का विकल्प चुना, 8% नॉमिनेशन को लेकर असमंजस में