कराची
पाकिस्तान में गुरुवार को चुनाव कराए गए मगर आज तीसरे दिन भी अभी तक नतीजे नहीं आए हैं। पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा 265 में से 255 सीटों के घोषित परिणाम के अनुसार इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने 93, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 73, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 54 और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) ने 17 सीट पर जीत हासिल की है। अन्य 11 सीटों पर छोटे दलों को जीत मिली है। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को नेशनल असेंबली में 265 में से 133 सीट जीतनी होगी। एक उम्मीदवार की मौत के बाद एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था। कुल मिलाकर, साधारण बहुमत हासिल करने के लिए 336 में से 169 सीट की आवश्यकता है, जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित सीट भी शामिल हैं। मतगणना अब भी जारी है। ऐसी उम्मीद है कि आज चुनाव के नतीजे आ जाएंगे।
पाकिस्तान में शुरू हुई जोड़-तोड़ की सियासत
पाकिस्तान के आम चुनाव में किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के मद्देनजर गठबंधन सरकार के गठन के लिए चर्चाएं और जोड़ तोड़ की कोशिशें शुरू हो गई हैं। त्रिशंकु संसद बनने के आसार के बीच गठबंधन सरकार बनाने के प्रयासों को तब गति मिली जब पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शुक्रवार को प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों से पाकिस्तान को मौजूदा कठिनाइयों से बाहर निकालने के लिए हाथ मिलाने की अपील की। माना जाता है कि शरीफ को शक्तिशाली सेना का समर्थन प्राप्त है।
वहीं जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने बृहस्पतिवार के चुनाव में नेशनल असेंबली में 101 सीट पर जीत हासिल की है। उधर इमरान खान ने एआई की मदद से एक ऑडियो वीडियो संदेश भेजकर आम चुनाव में जीत का दावा किया। खान ने वीडियो में कहा कि उनका दृढ़ विश्वास था कि लोग मतदान करने के लिए बाहर आएंगे और उन्होंने बड़ी संख्या में मतदान कर उनके भरोसे को कायम रखने के लिए अपने समर्थकों की सराहना की। इमरान खान की पार्टी पीटीआई के केंद्रीय सूचना सचिव रऊफ हसन ने कहा कि पार्टी ने भविष्य के कदमों पर परामर्श की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष बैठकें संभव नहीं हैं क्योंकि अधिकांश निर्वाचित उम्मीदवार या तो जेल में हैं या भूमिगत हैं। हसन ने आगाह किया कि लोगों के फैसले को पटरी से उतारने के किसी भी प्रयास के घातक परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि जनमत का सम्मान करना चाहिए।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने शनिवार को स्थगित चुनाव परिणामों पर निराशा व्यक्त की है। साथ ही, उन्होंने कहा कि यदि 8 फरवरी को आम चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग किया गया होता, तो देश को इस मौजूदा संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने कहा, "आयोग के बड़े-बड़े दावों के बावजूद, पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) की नई चुनाव प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) विफल रही। चुनाव नियामक ने मतदान बंद होने के लगभग 72 घंटे बाद भी अभी तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए प्रारंभिक परिणाम जारी नहीं किए हैं।
ईवीएम मशीन का किया समर्थन
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, राष्ट्रपति अल्वी ने कहा,"अगर आज ईवीएम होती, तो मेरा पाकिस्तान इस संकट से बच जाता।" राष्ट्रपति अल्वी ने पिछली पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा ईवीएम के लिए छेड़ी गई लड़ाई का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, "ईवीएम के लिए हमारे लंबे संघर्ष को याद रखें। ईवीएम में कागज के मतपत्र होते थे, जिन्हें हाथ से अलग से गिना जा सकता था (जैसा कि आज किया जा रहा है) लेकिन इसमें दबाए गए प्रत्येक वोट बटन का एक साधारण इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर/काउंटर भी था।" समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कहा कि यदि मशीनों का उपयोग किया जाता, तो प्रत्येक उम्मीदवार का योग मतदान समाप्त होने के पांच मिनट के भीतर उपलब्ध हो जाता।
उन्होंने कहा कि पीटीआई केंद्र, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी है, लेकिन केंद्र और पंजाब में सरकारें गठित करने के लिए परिणामों में हेरफेर करने के प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने कहा, ''हम चुनाव परिणामों के साथ छेड़छाड़ करने की किसी भी कोशिशों को विफल करने के लिए सभी कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे।''
नवाज पहले ही दे चुके विक्ट्री स्पीच
तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने अपने तथाकथित विक्ट्री स्पीच में पहले ही संकेत दे दिया है कि वह देश को संकट से बाहर निकालने के लिए निर्दलियों के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं। भले ही शरीफ की पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व वाली पीपीपी को शेष सीटों पर जीत मिल जाए, फिर भी उन्हें सरकार बनाने के लिए अन्य विजेता दलों या निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की आवश्यकता होगी। दोनों पार्टियां गठबंधन सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी हैं।
नजाब और बिलावल की हुई बैठक
पीपीपी प्रमुख बिलावल और उनके पिता आसिफ अली जरदारी ने नवाज शरीफ और उनके भाई शहबाज शरीफ के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। पीएमएलएन के एक नेता ने शनिवार को बताया, ''आसिफ अली जरदारी और नवाज शरीफ ने जाति उमरा में बैठक की, जिसमें दोनों ने इस्लामाबाद में गठबंधन सरकार बनाने पर चर्चा की।'' उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन और पीपीपी दोनों छोटे दलों की मदद से सरकार बनाने के लिए आरामदायक स्थिति में हैं, जबकि पीटीआई को विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर किया जाएगा।
बिलावल और जरदारी ने पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी के आवास पर शहबाज से भी मुलाकात की। शहबाज ने जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान और एमक्यूएम प्रमुख खालिद मकबूल सिद्दीकी को भी फोन किया और गठबंधन सरकार के गठन की संभावनाओं पर चर्चा की। सूत्रों ने कहा कि पीएमएलएन और पीपीपी के बीच बातचीत में मुख्य अड़चन प्रधानमंत्री पद को लेकर है।
पीएम पद को लेकर जिरह
पीपीपी के वरिष्ठ नेता खुर्शीद शाह ने कहा कि उनकी पार्टी शरीफ को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा, ''पीपीपी अभी तक पीएमएल-एन के साथ गठबंधन में सरकार बनाने के लिए सहमत नहीं हुई है।'' उन्होंने कहा कि पीपीपी सावधानी से अपने पत्ते खेल रही है। शाह ने कहा कि अगर उनकी पार्टी अन्य दलों के साथ गठबंधन में जाती है तो बिलावल पीपीपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। सूत्रों ने कहा कि शहबाज प्रधानमंत्री पद के लिए पसंदीदा उम्मीदवार बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा, ''शहबाज सैन्य प्रतिष्ठान के पसंदीदा हैं जो उनके साथ काम करने में काफी सहज महसूस करते हैं। नयी सरकार का ढांचा पीडीएम (इमरान खान के खिलाफ गठित गठबंधन) शैली की तरह होगा।''