नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आचार्य श्रील प्रभुपाद की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। पीएम मोदी ने श्रील प्रभुपाद को शॉल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने श्रील प्रभुपाद की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज इस अवसर पर मुझे श्रील प्रभुपाद जी की स्मृति में पोस्टल स्टैम्प और स्मारक सिक्का जारी करने का सौभाग्य भी मिला है। इसके लिए भी मैं आप सभी को बधाई देता हूं।
भारत को विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया
प्रधानमंत्री ने यहां राष्ट्रीय राजधानी में भारत मंडपम में श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अमृत काल में हमने भारत को विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि 25 साल का 'अमृत काल' वह अवधि है जब देश 2047 में आजादी के 100 साल पूरे करेगा। पीएम ने कहा, ''आज करोड़ों भारतीय अपने अंदर देशभक्ति की ऊर्जा के साथ अमृतकाल में प्रवेश कर चुके हैं।
राम मंदिर का सपना पूरा हुआ
उन्होंने कहा, "आज करोड़ों देशवासी देशभक्ति की ऊर्जा के साथ अमृतकाल में प्रवेश कर चुके हैं। इस अमृतकाल में हमने अपने भारत को विकसित बनाने का संकल्प लिया है। हम राष्ट्र को भगवान मानकर और भगवान से देश का दर्शन लेकर आगे बढ़ रहे हैं।" पीएम मोदी ने कहा, "हम प्रभुपाद गोस्वामी जी की 150वीं जयंती ऐसे समय में मना रहे हैं, जब कुछ दिन पहले ही भव्य राम मंदिर का सैकड़ों साल पुराना सपना पूरा हुआ है। आज आपके चेहरे पर जो खुशी और उत्साह दिखाई दे रहा है, मुझे विश्वास है कि निश्चित रूप से इसमें रामलला के विराजमान होने की खुशी भी शामिल है।
संत चैतन्य महाप्रभु का भी किया उल्लेख
अपने भाषण के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने 15 वीं शताब्दी के संत चैतन्य महाप्रभु का भी उल्लेख किया, जिन्हें उनके शिष्य राधा और कृष्ण का संयुक्त अवतार मानते हैं। पीएम मोदी ने कहा, "चैतन्य महाप्रभु कृष्ण के प्रति प्रेम के प्रतीक थे। उन्होंने आध्यात्मिकता और आध्यात्मिक अभ्यास को आम लोगों के लिए सुलभ बनाया। उन्होंने हमें बताया कि भगवान को न केवल त्याग के माध्यम से बल्कि आनंद के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "चैतन्य महाप्रभु ने हमें दिखाया कि अपने जीवन में भगवान कृष्ण की लीलाओं का जश्न मनाकर कैसे खुश हुआ जा सकता है। आज कई साधक प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर रहे हैं कि संकीर्तन, भजन, गीत और नृत्य के माध्यम से कोई आध्यात्मिकता के शिखर तक कैसे पहुंच सकता है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत मंडपम में विश्व वैष्णव सम्मेलन की मेजबानी करना सौभाग्य की बात है, जहां जी20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से एक नये भारत का दर्शन हुआ। उन्होंने आगे कहा, "यह नए भारत की तस्वीर है, जहां 'विकास' और 'विरासत' का संगम है।"