रायपुर
हसदेव अरण्य इलाके में पेड़ कटाई के मसले पर विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव की ग्राह्यता पर जोरदार बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि विधानसभा में सवार्नुमति से अशासकीय संकल्प पारित होने के बाद भी सीएम के शपथ लेने से पहले पीसीसीएफ ने पेड़ कटाई की अनुमति दे दी, और पेड़ काटे गए। चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर विपक्षी सदस्य गर्भगृह में चले गए और सदन की कार्रवाई से स्वयमेव निलंबित भी हो गए।
प्रश्नकाल के तुरंत बाद डॉ. महंत और अन्य कांग्रेस सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव की सूचना देकर हसदेव अरण्य इलाके में पेड़ कटाई का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में पक्ष, और विपक्ष ने 26 जुलाई 2022 को अशासकीय संकल्प पारित किया था। हसदेव अरण्य इलाके में कोल ब्लॉक का आबंटन निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद आपकी सरकार आने के बाद, और सीएम के शपथ लेने से पहले प्रधान मुख्य वनसंरक्षक ने पेड़ काटने की अनुमति दे दी।
उन्होंने कहा कि करीब 91.30 हेक्टेयर क्षेत्र में पेड़ कटाई की अनुमति दी गई। यह सब संकल्प पारित होने के बाद भी दिया गया। यह अत्यंत दुखद है। इलाके में जल, जंगल, जमीन और वन्यप्राणियों के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों के लिए समस्या पैदा हो गई है। इससे विचरण करने वाले हाथी और मानव द्वंद्व कहां तक बढ़ेगा, इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद भी पेड़ों की कटाई हो गई। कोई अदृश्य शक्तियां है, जिसकी वजह से पेड़ों की कटाई हुई है। कोई भी खदान संचालन की अनुमति न दी जाए, इसके बावजूद अनुमति दी गई है, यह गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ वन्य जीवन प्रभावित होगा, बल्कि हसदेव बांगो डेम को खतरा पैदा होगा।
विपक्षी सदस्यों ने काम रोको प्रस्ताव पर तुरंत चर्चा कराने की मांग की। विपक्षी सदस्यों ने यह भी कहा कि यह इलाका नो गो एरिया के रूप में जाना जाता है। केवल 15 फीसदी कोयला भंडार ऐसे हैं जो घने जंगल, और नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में है, उन्हें बचाया जाना अत्यंत जरूरी है। शेष 85 फीसदी कोयला भंडार देश में कोयले की जरूरत सौ साल तक पूरी कर सकते हैं। हसदेव अरण्य के 20 कोल ब्लॉक जिनमें से दो ब्लॉक में खनन शुरू हुआ है। पूरी तरह से नो गो डिक्लेयर हुए थे। इनका कुल क्षेत्र 453 वर्ग किलोमीटर है जो कि कुल हसदेव अरण्य क्षेत्र का 40 फीसदी हिस्सा है। इससे सडक, रेल लाईन या अन्य निर्माण होने से पूरे जंगल का 70 फीसदी क्षेत्र खुली खदान में बदल जाएगा। इसका असर यह होगा कि हसदेव नदी का जलग्रहण क्षेत्र पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा। आसंदी ने चर्चा की अनुमति नहीं दी। इसके बाद विपक्षी सदस्य गर्भगृह में पहुंचे और सदन की कार्रवाई से निलंबित हो गए। बाद में बहाल भी हो गए।