नई दिल्ली
रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (वन नेशन, वन इलेक्शन) पर उच्च स्तरीय समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने पर विचार को लेकर तीन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रतिनिधि सुदीप बंदोपाध्याय और कल्याण बंदोपाध्याय ने 11 जनवरी 2024 को पत्र द्वारा देशभर में एक साथ चुनाव पर पार्टी के जो विचार समिति को सौंपे थे, उसी को एक बार फिर समिति के सामने दोहराया। इसके साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीताराम येचुरी, नीलोत्पल बसु और मुरलीधरन ने भी समिति के सदस्यों से मुलाकात की और अपना रुख बताया।
बता दें कि पार्टी ने पहले ही लिखित रूप में एचएलसी को अपने विचार सौंप दिए थे। वहीं, समाजवादी पार्टी के केके. श्रीवास्तव और हरिश्चंद्र सिंह यादव ने समिति को देश में एक साथ चुनाव कराने पर अपनी पार्टी के रुख से अवगत कराया। इससे पहले समाजवादी पार्टी की तरफ से भी समिति को अपना विचार लिखित रूप से सौंप दिया गया था। दूसरी तरफ भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक राष्ट्र एक चुनाव पर बनाई गई उच्च स्तरीय समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने के विषय पर औद्योगिक प्रतिनिधियों के साथ भी परामर्श किया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फिक्की) के एक प्रतिनिधिमंडल ने इसको लेकर समिति से मुलाकात कर इस मामले में अपने विचार रखे। फिक्की की तरफ से आए प्रतिनिधिमंडल की ओर से अपने विचार को स्पष्ट करते हुए सदस्यों ने कहा कि सभी एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा का समर्थन करते हैं, क्योंकि विभिन्न स्तरों पर कई चुनाव व्यापार की व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और साथ ही यह निर्णय लेने में धीमी गति का कारण बनते हैं। फिक्की ने आगे सुझाव दिया कि देश में एक साथ चुनाव कराने से होने वाले खर्च को कम किया जा सकेगा और इस बचत का उपयोग आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।