भिलाई
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई दुर्ग के तत्वावधान में नवें दशक के चार कवियों शरद कोकास, परमेश्वर वैष्णव, विमल शंकर झा "विमल", छगन लाल सोनी की कविताओं पर चर्चा गोष्ठी का आयोजन 4 फरवरी को मैत्री विद्या निकेतन रिसाली के सभागार में किया गया । कार्यक्रम के अतिथि प्रमुख वक्ता जनकवि डॉ. जीवन यदु थे । विशिष्ट अतिथि पंजाब होशियारपुर से पहुंचे कवि जसवीर धीमान व कथाकार लोकबाबू थे । इस कवि गोष्ठी की वक्ता कवयित्री सन्तोष झांझी , कथाकार डॉ.नालिनी श्रीवास्तव थीं ।
अध्यक्षता कवि रवि श्रीवास्तव ने की । अतिथि प्रमुख वक्ता डॉ. जीवन यदु ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन और समाज की आलोचना ही कविता है , कविता में विचार उनके प्राण हैं ।चारों कवि शरद कोकास ,परमेश्वर वैष्णव, विमल शंकर झा 'विमल' छगन लाल सोनी की कविताओं में उनका जनपक्ष बहुत स्पष्ट है, कविताएं पूरे प्रभाव के साथ समाज को संदेश देती हैं । इस अवसर पर डॉ.जीवन यदु ने अपनी हिंदी छत्तीसगढ़ी रचनाओं का भी पाठ किया ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में रवि श्रीवास्तव ने चारों कवियों की कविताओं को उम्दा निरूपित करते हुए कहा कि चारों कवि समय के साथ आगे बढ़ने वाले कवि हैं वे अपनी प्रगतिशीलता कभी नहीं छोड़ सकते । ऐसे वैचारिक आयोजन से हौसला बढ़ता है । विशिष्ट अतिथि लोकबाबू ने कहा चारों कवियों ने अच्छी रचनाएं पढ़ी ,रचनाओं में मारक क्षमता है साथ ही वैचारिक आग्रह भी । सन्तोष झांझी ने कहा सभी कवियों ने अपनी कविताओं में समाज का यथार्थ और विसंगतियों को अभिव्यक्त किया है ।डॉ.नालिनी श्रीवास्तव ने कहा शरद कोकास की कविता में रिटायरमेंट के बाद मकान में बुढ़ापे का दर्द और परमेश्वर वैष्णव की कविता 'चिड़िया और आदमी' में आदमी के हिंसात्मक रूप को उकेरा गया है ।विमल झा की गजलें उनके पत्रकार होने के कारण व्यवस्था के यथार्थ को बयां करती हैं छगन लाल सोनी की रचनाओं में भी संवेदनात्मक पुट है । सभी की रचनाओं में आत्मानुभव व मन का भाव प्रकट हुआ है ।
जसवीर सिंह धीमान ने भी चारों कवियों की रचनाओं को समसामयिक बताते हुए अपनी रचनाएं सुनाई । आयोजन के आरम्भ में अतिथियों का स्वागत विमल झा, डॉ संजय दानी, विनोद सोनी,मणिमय मुखर्जी,शुचि भवि,पुन्नू यादव, भारत भूषण परगनिहा,कंचन सोनी ,टी आर कोसरिया, मेनका वर्मा,डॉ नौशाद सिद्दीकी ,शिव मंगल सिंह ने किया ।
कार्यक्रम का संचालन योगेंद्र शर्मा व आभार प्रदर्शन डॉ कोमल सिंह शारवा ने किया । इस वैचारिक आयोजन में गुलवीर सिंह भाटिया, चंद्रशेखर पिल्लई,थान सिंह वर्मा,इंदु शंकर मनु,ऋषि गजपाल, मुमताज,डी पी देशमुख,हरि सेन,सहदेव देशमुख,व्ही एन प्रसाद राव,बसंत कुमार उइके,प्रियंका यादव,एम एस वर्मा,नीलम जायसवाल,माला सिंह,टी आर कन्नौजे,संकल्प यदु,एल एन मौर्य,टी एन कुशवाहा,हाजी रियाज खान गौहर,टिकेंद्र यदु, नीरज शर्मा,नरोत्तम साहू,रमेश सोनी,गौरव सोनी, सविता सोनी आदि की भगीदारी रही ।