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चीतों के लिए दूसरा आशियाना तैयार, मंदसौर का गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य बनेगा ठिकाना

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श्योरपुर

मध्य प्रदेश के श्योरपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के बाद मंदसौर का गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य चीतों का दूसरा आशियाना बन सकता है। इसके मद्देनजर अभयारण्य में सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में इस समय 21 चीते हैं जबकि गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य इससे लगभग 270 किमी दूर स्थित है।

वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य चीतों के स्वागत के लिए तैयार है और इन जानवरों को लाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदसौर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) संजय रायखेड़ा ने कहा- चीतों का यह नया घर, जो 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में 17.72 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है।

डीएफओ संजय रायखेड़ा ने कहा- यह क्षेत्र तार वाली बाड़ से सुरक्षित है। यह अभयारण्य चीतों के स्वागत के लिए तैयार है। उनके आगमन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हालांकि, रायखेड़ा ने कहा कि इस अभयारण्य में चीतों को बसाने के संबंध में समय और अन्य औपचारिकताओं पर निर्णय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा लिया जाएगा।

अधिकारी ने कहा कि गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य और वन विभाग में तैनात लगभग 25 कर्मचारी और अधिकारी पहले ही केएनपी से चीतों की निगरानी और देखभाल के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। चीतों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए एक अस्पताल का भी निर्माण किया जा रहा है। अस्पताल के निर्माण के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए केएनपी के पशु चिकित्सकों की एक टीम जल्द ही अभयारण्य का दौरा कर रही है।

डीएफओ संजय रायखेड़ा ने कहा कि गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के लिए शिकार प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। चीतल (चित्तीदार हिरण) सहित कई जानवर हैं, जो अभयारण्य में बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। इस अभयारण्य में दक्षिण अफ्रीका से चीतों की एक नयी खेप आने की संभावना है। धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

अफ्रीका से चीतों का स्थानांतरण भारत में उनकी आबादी को पुनर्जीवित करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। चीता को पुन: बसाने की परियोजना के तहत  नामीबियाई से आठ चीतों(पांच मादा और तीन नर)  को 17 सितंबर 2022 को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था। फरवरी 2023 में, 12 चीतों की एक और खेप दक्षिण अफ्रीका से पार्क में लाई गई थी। मार्च 2023 से केएनपी में विभिन्न कारणों से सात वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। केएनपी में चीतों की कुल संख्या वर्तमान में 21 है  जिसमें छह नर, सात मादा और आठ शावक हैं।

 

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