वॉशिंगटन/नई दिल्ली
भारत और अमेरिका के बीच MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन डील अब आगे बढ़ गई है। अमेरिकी संसद के मंजूरी दिए जाने के बाद बाइडन सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। भारत अमेरिका से 31 किलर ड्रोन खरीदना चाहता है ताकि मिसाइलों से लैस MQ-9B से सतह और समुद्र के नीचे छिपी पनडुब्बियों के लिए आसानी से अभियान चलाया जा सके। भारत यह ड्रोन विमान ऐसे समय पर खरीद रहा है जब हिंद महासागर से लेकर लद्दाख तक चीनी सेना की गतिविधियां बहुत तेजी से बढ़ती जा रही हैं। यही नहीं पाकिस्तान भी चीन और तुर्की से बड़े पैमाने पर किलर ड्रोन खरीद रहा है। यह पूरा ड्रोन सौदा करीब 4 अरब डॉलर का होने जा रहा है। यही वजह है कि ड्रोन की कीमत को लेकर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रीडेटर ड्रोन फ्रांसीसी राफेल और अमेरिकी एफ 35 फाइटर जेट से भी महंगे हैं।
भारत को मिलेगी हेलफायर मिसाइल
अमेरिका के साथ हो रहे 4 अरब डॉलर के ड्रोन सौदे में कई हथियार और सेंसर भी शामिल हैं। भारत कुल 31 MQ-9B स्काई गार्डियन ड्रोन विमान खरीद रहा है। इसमें 15 भारतीय नौसेना, बाकी ड्रोन भारतीय सेना और वायुसेना को दिए जाएंगे। भारत ने इस डील के साथ हेलफायर मिसाइलें और लेजर स्माल डायामीटर बम का भी समझौता किया है। ये ड्रोन विमान AESA निगरानी रेडॉर से लैस होंगे। भारत और अमेरिका के बीच पिछले एक दशक से इस ड्रोन समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। भारत ने इसकी भारी कीमत को देखते हुए पहले कम संख्या में इसे लेने का फैसला किया था लेकिन अब इसे फिर से 31 तक कर दिया गया है।
भारत ने अमेरिका से लीज पर दो सी गार्डियन ड्रोन खरीदे थे और इसकी मदद से साल 2020 में गलवान हिंसा के दौरान चीनी सेना की हिमालय में निगरानी की थी। इस ड्रोन को बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल एटामिक्स के मुताबिक MQ-9B स्काई गार्डियन ड्रोन 40 से ज्यादा घंटे तक हर तरीके के मौसम में हवा में उड़ सकते हैं। इससे चाहे दिन हो या रात हर समय निगरानी किया जा सकता है। इस डील के बाद MQ-9B ड्रोन कीमत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना एक समय में पाकिस्तान और चीन की युद्धक तैयारियों के खिलाफ इस ड्रोन विमान की क्षमता को लेकर सवाल उठाया था।
राफेल, एफ-35 से भी महंगा है अमेरिकी ड्रोन!
चीन और पाकिस्तान दोनों ही के पास सतह से हवा में मार करने वाली घातक मिसाइलें हैं जो इस ड्रोन के लिए बड़ा खतरा हैं। इसके अलावा इस प्रीडेटर ड्रोन की कीमत भी पूरी डील को लेकर सवाल उठा रही थी। वह भी तब जब भारत को लड़ाकू विमान से लेकर अत्याधुनिक टैंकों और नेवी को युद्धपोतों की सख्त जरूरत है। ऐसे में ड्रोन खरीदने के लिए इतना पैसा खर्च करने को लेकर सवाल उठे। भारत के लड़ाकू विमान पायलट रह चुके रक्षा विश्लेषक विजेंद्र के ठाकुर के मुताबिक MQ-9 जैसे रीपर ड्रोन कम क्षमता के युद्ध के लिए फायदेमंद हैं लेकिन अगर चीन और पाकिस्तान से लड़ाई होती है तो यह कम क्षमता का नहीं होगा और ऐसे में ये ड्रोन बहुत कारगर नहीं होंगे।
ठाकुर ने कहा कि इसके बाद भी भारत एक MQ-9B ड्रोन के लिए 99 मिलियन डॉलर चुका रहा है। वहीं भारत ने एक राफेल विमान के लिए 98 मिलियन डॉलर दिए थे। वहीं एक अमेरिकी एफ-35 फाइटर जेट की कीमत 89.2 मिलियन और सुखोई 35 की कीमत 42 मिलियन डॉलर है। अगर रूस के सबसे आधुनिक फाइटर जेट सुखोई 75 की बात करें तो एक विमान की कीमत मात्र 30 मिलियन डॉलर है। हालांकि हर कोई विजेंद्र ठाकुर से सहमत नहीं है। वाइस एडमिरल रिटायर शेखर सिन्हा यूरोएशियन टाइम्स से कहते हैं कि एक लड़ाकू विमान को एक ही मिशन के दौरान कई बार तेल भरना पड़ता है लेकिन रीपर ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है। इससे फाइटर जेट फ्री रहेंगे और अन्य मिशन को अंजाम दे सकेंगे।