नई दिल्ली
पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों से कड़ाई से निटपने का सुझाव देते हुए विधि आयोग ने केंद्र सरकार से कई सिफारिशें की हैं। आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोपियों को तभी जमानत मिले, जब उनके द्वारा किए नुकसान के बराबर धनराशि जमा करा दी जाए। साथ ही आयोग ने सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण (पीडीपीपी) अधिनियम में संशोधन का सुझाव भी दिया है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतु राज अवस्थी की अगुवाई वाली कमेटी ने अपनी 284वीं रिपोर्ट में यह बातें कहीं हैं। योग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में पीडीपीपी अधिनियम के तहत अपराधों से संबंधित आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि और सजा का डर ही पर्याप्त नहीं है।
कड़ी हों जमानत की शर्तें
आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने वालों की जमानत शर्त और कड़ी होनी चाहिए। जब तक आरोपी सार्वजनिक संपत्ति का अनुमानित मूल्य नहीं जमा कर देते, उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने 2015 में पीडीपीपी अधिनियम में बदलाव का एक प्रस्ताव रखा था। गृह मंत्रालय ने सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2015 का एक मसौदा जारी किया और इस पर आपत्ति और सुझाव मांगे थे। हालांकि, मूल अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया गया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात इनकार नहीं किया जा सकता कि हमारे देश में सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान पहुंचाने की घटना दुर्भाग्य से बड़े पैमाने पर होती है और यह लगातार जारी है।
किसी को इजाजत नहीं
आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। साथ ही इसकी सुरक्षा करना उसके हित में भी है। यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक संपत्ति को किसी के द्वारा नष्ट करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, चाहे इसका कारण कुछ भी हो। आयोग ने कहा कि संपत्ति को नुकसान पहुंचाना आसान है, लेकिन इसे बनाना आसान नहीं है। सार्वजनिक संपत्ति राष्ट्रीय संपत्ति बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें हर नागरिक की हिस्सेदारी है। आयोग ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति के विनाश को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।