नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट में देश में तीन नए बड़े आर्थिक रेलवे कॉरिडोर बनाने की घोषणा की। असल में ये केवल तीन रेल कॉरिडोर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इन तीनों से 434 प्रोजेक्ट जुड़े हुए हैं। ये देश में रेल यात्रा करने वाले और माल ढुलाई की दशा बदल देंगे। 6-8 साल में पूरे होने वाले इन तीनों कॉरिडोर की लंबाई 40 हजार किलोमीटर होगी। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन तीनों कॉरिडोर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये तीनों कॉरिडोर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर नहीं हैं। इससे फ्रेट और पैसेंजर दोनों को बहुत फायदा होने वाला है। सही मायने में कहा जाए तो रेलवे की यह घोषणा विकसित भारत का नया रोडमैप, ब्लूप्रिंट है। यह 2030-31 तक देश में रेल ट्रांसपोर्ट का रूप बदलकर रख देगा।
वैष्णव ने कहा कि तीनों नए आर्थिक रेल कॉरिडोर बनाना बड़ा काम है। इसके लिए डीपीआर बनाना, राज्य सरकारों के साथ बातचीत और अन्य बहुत सारे काम हैं। तीनों कॉरिडोर के लिए 40 हजार किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक बिछाने के लिए आरंभिक लागत 11 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान है। यह लागत बेहद शुरुआती है, क्योंकि इन तीनों प्रोजेक्ट के लिए अभी डीपीआर तैयार करना बाकी है। इसके बाद असल कॉस्ट का पता लग सकेगा। तीनों आर्थिक कॉरिडोर से 434 छोटे-बड़े प्रोजेक्ट जुड़े हुए हैं। उनकी मदद से ही तीन कॉरिडोर वाली बड़ी योजना अमल में आ पाएगी।
2030 तक वेटिंग लिस्ट का झंझट खत्म
इन तीनों कॉरिडोर में पहले का नाम- एनर्जी, मिनरल और सीमेंट कॉरिडोर, दूसरा- पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर और तीसरे का नाम हाई स्पीड डेंसिटी कॉरिडोर दिया गया है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इसका मतलब है कि देश में रेल हर उस मुकाम तक पहुंच बनाएगी, जहां-जहां से भी अधिक, बेहतर और स्पीड के साथ माल ढुलाई की जा सकेगी। साथ ही अधिक से अधिक यात्रियों की पहुंच तक भी रेलवे पहुंचेगी। ये तीनों कॉरिडोर केवल माल ढुलाई के लिए नहीं हैं। यह बड़ा प्रोजेक्ट यात्रियों के लिए भी है। उम्मीद जताई जा रही है कि 2030-31 तक देश में रेल टिकट बुक कराने वालों के लिए वेटिंग लिस्ट का झंझट खत्म हो सकेगा।
कैसे तैयार होगी भारतीय रेल?
रेल से माल ढुलाई या सफर करने वालों के लिए केवल रेल ट्रैक बिछाने से ही काम नहीं चलेगा। इसके लिए जहां-जहां डबल लाइन हैं वहां-वहां उन्हें बढ़ाकर फोर लाइन करना होगा। फोर लाइन को जरूरत के मुताबिक और अधिक बढ़ाना होगा। रेलवे को डिमांड के हिसाब से यात्रियों के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़ानी होगी। जिस तेजी से रेल यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है उस हिसाब से 2030-31 तक वेटिंग लिस्ट को खत्म करने के मकसद में देरी हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि इन तीनों नए रेल कॉरिडोर बनाने और नई ट्रेनों के आने से मौजूदा समय में सालाना 700 करोड़ यात्रियों को सफर कराने वाली रेलवे फिर एक हजार करोड़ यात्रियों को भी यात्रा कराने के लिए पूरी तरह से तैयार होगी।