नई दिल्ली
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' को लेकर खुशखबरी दी है। उन्होंने कहा कि कवच से पूरे रेल नेटवर्क को लैस करने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) की ओर से निजी प्रतिभागियों के सहयोग से कवच सिस्टम को डेवलप किया गया है। यह लोको पायलट के समय पर ट्रेन रोकने में विफल रहने जैसी आपात स्थिति में खुद से ब्रेक लगाने में सक्षम है। भारतीय रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए अपने नेटवर्क में इस प्रणाली को इस्तेमाल करने की प्रक्रिया में है। रेल मंत्री ने बताया कि कवच तकनीक की अब तक दक्षिण-मध्य रेलवे पर 139 रेल इंजनों (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित) और 1465 किमी रूट पर तैनाती हुई है।
रेलभवन में संवाददाताओं से बातचीत में वैष्णव ने कहा कि कवच के 5 घटक ऑप्टिकल फाइबर, कवच टावर, स्टेशनों पर डेटा सेंटर, ट्रैकसाइड उपकरण और लोको कवच हैं। उन्होंने कहा, 'इन सभी पांच घटकों को स्थापित करने में काफी अच्छी प्रगति हुई है। दिसंबर 2023 के अंत तक 269 कवच टावर की स्थापना के साथ-साथ 3,040 किलोमीटर मार्गों पर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाए गए हैं। कुल 186 स्टेशन पर डाटा सेंटर तैयार हैं और 827 किलोमीटर रूट पर ट्रैकसाइड उपकरण लगाए गए हैं। इसके अलावा 170 इंजनों में लोको कवच लगाया गया है।'
कवच के लिए 321 करोड़ रुपये का इस्तेमाल
अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि भारतीय रेलवे ने कवच के लिए अब तक कुल 798.98 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में से 321.85 करोड़ रुपये का उपयोग किया है। इससे पता चलता है कि चालू वित्तवर्ष में अब तक 40 प्रतिशत से अधिक फंड का इस्तेमाल किया जा चुका है। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान की ओर से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने यह जानकारी दी। वैष्णव ने कहा कि कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है। सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद मॉडर्न टेक्नोलॉजी है। ट्रेनों से यात्रा के दौरान सिक्योरिटी के लिहाज से इसे बेहद अहम माना जा रहा है।