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हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद अगला खतरा तो CM केजरीवाल पर मंडराने लगा

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नई दिल्ली

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद खतरे की घंटी सबसे तेज तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आस पास ही बज रही होगी. अगर हेमंत सोरेन से अरविंद केजरीवाल की तुलना करें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खतरनाक सफर का अभी आधा हिस्सा ही पूरा किया है. 

ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने से पहले 10 नोटिस भेजे थे, और अरविंद केजरीवाल को अब तक 5 नोटिस मिल चुके हैं. गिरफ्तारी से बचने या उसका सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाले मौके की तलाश में जैसे हेमंत सोरेन जुगाड़ में रहे होंगे, अरविंद केजरीवाल को वैसी तरकीबों की अब भी तलाश होगी. 

अरविंद केजरीवाल कोई देश के अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं जो ईडी के जांच के रडार पर सबसे ऊपर चल रहे हैं, उनकी ही तरह तेलंगाना के नये नवेले मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन और आंध्र प्रदेश वाले जगनमोहन रेड्डी भी कतार में बने हुए हैं. जगनमोहन रेड्डी भी तभी तक खैर मना रहे हैं, जब तक वो केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के साथ हर हाल में दोस्ती का हाथ बढ़ा कर चल रहे हैं. 

बिहार के पूर्व  डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से तो अभी अभी घंटों पूछताछ हुई ही है. जांच के दायरे में तो एनसीपी नेता शरद पवार भी हैं, और आंच तो बीएसपी नेता मायावती तक भी पहुंच ही रही है – देखना है कब किसकी बारी आती है! 

अगला नंबर केजरीवाल का ही है

JMM नेता हेमंत सोरेन के बाद अगला नंबर तो AAP नेता अरविंद केजरीवाल का ही लगता है, लेकिन उसके बाद कौन चपेट में आ रहा है देखना अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है – दिल्ली की शीतलहर से निबटने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर चुनावी मौसम का कितना असर होता है, और वे क्या एक्शन लेते हैं ये तो जांच एजेंसी के रडार पर आ चुके नेताओं की किस्मत और राजनीतिक समीकरणों पर ही निर्भर करता है.  

1. अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय का पांचवा नोटिस मिल चुका है. दिल्ली शराब नीति केस को लेकर ईडी का आरोप है कि करीब 100 करोड़ का घोटाला हुआ है. अरविंद केजरीवाल रिश्वत के आरोपों से अब तक इनकार करते आये हैं. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के दो साथी नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह इसी मामले में पहले से ही जेल में हैं. 

किसी भी तरह के घोटाले के ईडी के दावे को खारिज करते हुए केजरीवाल अब तक मिले नोटिस का अलग अलग तरीके से जवाब देते रहे हैं. केजरीवाल को मिले लेटेस्ट नोटिस में 2 फरवरी को पेश होने को कहा गया है. 

2. रेवंत रेड्डी

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच चल रही है. कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी पर जो आरोप लगा है, वो तब का है जब वो आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी में हुआ करते थे.

रेवंत रेड्डी पर आरोप है कि 2015 में हुए एमएलसी चुनाव में अपने पक्ष में वोट देने के लिए उन्होंने एक विधायक को 50 लाख रुपये की कथित तौर पर रिश्वत दी थी.

3. पिनराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के खिलाफ काफी पुराना मामला है, जब वो बिजली मंत्री हुआ करते थे. ये मामला कनाडा की एक फर्म को हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का ठेका देने में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ा है. 

सीबीआई ने इस मामले में 1995 में चार्जशीट फाइल की थी – और फिर 2021 में ईडी ने अपनी जांच शुरू की है. 

4. वाईएस जगनमोहन रेड्डी

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी तो तभी से भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे हैं जब केंद्र में यूपीए की सरकार हुआ करती थी. तब तो उनको कई महीने जेल में भी गुजारने पड़े थे.

2015 में  जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ ईडी ने भी उनकी कंपनी भारती सीमेंट में वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर दर्ज कर लिया. 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो एनडीए में शामिल तो नहीं हुए, लेकिन लगातार वो बीजेपी के सपोर्ट में खड़े नजर आते हैं. कोविड काल के दौरान तो वो हेमंत सोरेन से भी भिड़ गये थे, बीजेपी की मोदी सरकार के पक्ष में खड़े होकर.

झारखंड के साथ ही यूपी-बिहार में भी एक्शन संभव

बिहार में सत्ता से हाथ धोने के अगले ही दिन पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को कई घंटे ईडी दफ्तर में गुजारने पड़े. तेजस्वी यादव की ही तरह उनके पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और मां राबड़ी देवी भी IRCTC केस और नौकरी के बदले जमीन मामले में मुख्य आरोपी हैं. 

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और खनन केस में ठेका देने के मामले में ईडी की जांच के दायरे में आ चुके हैं. सीबीआई भी इस मामले की जांच कर रही है.

आने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए झारखंड और दिल्ली जैसे एक्शन की यूपी और बिहार में भी आशंका जताई जा रही है. 

कांग्रेस नेताओं की लिस्ट काफी लंबी है

ईडी की हिट लिस्ट में सबसे ज्यादा नंबर तो कांग्रेस के नेताओं का ही है. ध्यान रहे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी लंबी पूछताछ कर चुके हैं – और एक वक्त तो ऐसा भी रहा जब राहुल गांधी की गिरफ्तारी की भी आशंका जताई जाने लगी थी.  

हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी ई़डी अधिकारियों ने पूछताछ की है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मानेसर लैंड डील और AJL केस में ईडी की जांच चल रही है. 

ऐसे ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल भी मनी लॉन्ड्रिंग के तीन मामलों में जांच फेस कर रहे हैं. राजस्थान एंबुलेंस स्कैम केस में तो राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ साथ डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट और कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम का नाम भी शामिल है. 

गुजरात के कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के खिलाफ भी ईडी ने 2016 में एक केस दर्ज किया था. उसके साल भर पहले से सीबीआई भी जांच कर रही है. ये मामला तब का है जब वाघेला केंद्र सरकार में कपड़ा मंत्री हुआ करते थे. 

और भी कई नाम हैं जांच के दायरे में

महाराष्ट्र के पूर्व  मुख्यमंत्री शरद पवार को ईडी की तरफ से भेजे गये समन के बाद क्या हुआ सबने देखा ही. नोटिस मिलने के बाद हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल का रवैया सब लोग देख ही रहे हैं,  लेकिन एनसीपी नेता ने ऐसी चाल चली कि पूरा मुंबई प्रशासन परेशान हो उठा.

2019 में जैसे ही शरद पवार को ईडी का नोटिस मिला, कुछ ही देर बाद एनसीपी नेता ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर आरोपों को खारिज किया, और दफ्तर जाकर पेश होने की घोषणा कर दी. असर ये हुआ कि पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारी उनसे अपनी घोषणा वापस लेने की मांग करने लगे – और जब ईडी की तरफ से उनको सुनिश्चित किया गया कि उनको पेश होने की जरूरत नहीं है, तभी मामला शांत हो सका. 

यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती का मामला भी थोड़ा अलग लगता है. अव्वल तो बीएसपी नेता का नाम किसी भी एफआइआर में नहीं है, लेकिन उनके कार्यकाल के कई प्रोजेक्ट जांच के दायरे में आ चुके हैं. 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ऐसे ही मामलों की तरफ इशारा करते हुए दावा कर चुके हैं कि 2022 में ऐसे ही दबाव की वजह से मायावती ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का ऑफर ठुकरा दिया था. आने वाले लोक सभा चुनाव में भी मायावती ने अकेले मैदान में उतरने का ऐलान किया है. चुनावों के दौरान उनके राजनीतिक विरोधी बीजेपी के फायदे के लिए काम करने का आरोप लगाते रहे हैं.

ईडी की जांच के दायरे में आ चुके ऐसे नेताओं में फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, नबाम तुकी और ओकराम इबोबी सिंह जैसे पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं – और आने वाले दिनों में हेमंत सोरेन की तरह ये भी शिकार हो सकते हैं.

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