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5 माह में ऐसा कौन सा अलादीन का चिराग मिला जिससे सारी व्यवस्था हो गई दुरुस्त

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पर्यावरण विभाग अपने ही दस्तावेजों में फंसता आ रहा नजर,
पर्यावरण मित्र इसी दस्तावेज के सहारे कर रहा एनजीटी का रुख,

रायगढ़। फरवरी माह में पॉल्युशन को लेकर रीजनल कार्यालय पर्यावरण द्वारा एक तरफ पावर प्लांट और विद्युत, पानी सहित अन्य सप्लाई को विच्छेद करने नोटिस जारी करता है और उसी विभाग द्वारा 5 माह में जनसुनवाई की अनुमति देता है। पूरा मामला एमएसपी की जनसुनवाई को लेकर है। पर्यावरण मित्र ने इस गंभीर मामले पर एनजीटी का रुख करने का फैसला लिया है। क्षमता विस्तार के लिए 242.23 एकड़ भूमि की जरूत है जबकि प्रबन्धन के पास महज 169.02 एकड़ भूमि उपलब्ध है।

एमएसपी की जनसुनवाई 15 सितम्बर को तय की गई है। जहां पहले ही पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन के मामले में रीजनल कार्यालय पर्यावरण विभाग के जांच में मिनिस्ट्री ऑफ इनवायरमेंट फारेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज गवर्मेंट ऑफ इंडिया के नोटिफिकेशन के विरुद्ध पाया गया था और 1 फरवरी 2021 को एमएसपी के डायरेक्टर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को नोटिस जारी किया गया था जिसमे कहा गया था कि पावर प्लांट को बंद कर दिया जाए और इलेक्ट्रिसिटी, वाटर और दूसरे सप्लाय फेसिलिटी तत्काल डिसकनेक्ट किया जाए।
जांच में पाया गया था कि प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्युशन एक्ट 1981 के अनुसार छत्तीसगढ़ कंज़र्वेशन बोर्ड के अनुसार खुले में फ्लाई ऐश डंप नहीं कर सकते हैं फलाई ऐश का यूटिलाइजेशन नहीं पाया गया विभाग द्वारा समय समय पर की गई जांच में पाया गया कि बहुत बड़े पैमाने पर फैक्टरी के करीब ग्राम मनुवापली में फ्लाई ऐश डंप किया हुवा पाया गया। फ्लाई ऐश के मैनेजमेंट के लिए प्रबन्धन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाना पाया गया था जो कि भारत सरकार में पर्यावरण वन और क्लाइमेट चेंज में नियमों के विपरीत पाया गया था। 28/01/2021 की जांच रिपोर्ट के आधार पर 1 फरवरी 2021 को पाकर प्लांट बन्द करने और सभी सप्लाई को बंद करने तक कि बात कही गई थी।
इसी बीच एमएसपी प्रबन्धन के हाथ ऐसा कौन सा अलादीन का चिराग मिल गया जिससे पॉल्युशन और फ्लाई ऐश के यूटिलाइजेशन को लेकर समस्याओं को दूर कर दिया गया। इसे लेकर पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने तंत्र की भूमिका पर बड़ा सवाल उठाते हुए एनजीटी की टीम के चेयरमेन को रायगढ़ आगमन पर एमएसपी की होने वाली जनसुनवाई पर गौर करने दस्तावेजों का पुलिंदा सौंपा है वहीं एनजीटी में इसे लेकर फाइल केस करने की बात कही गई है।

जाहिर सी बात है कि एमएसपी को रीजनल कार्यालय द्वारा जारी की गई नोटिस महज दिखावा और कागजी खानापूर्ति तक सीमित रही है। इतना ही नहीं अब तक एमएसपी का कैप्टिव पावर प्लांट चालू है और दूसरे प्लांट के साथ पवार प्लांट के क्षमता विस्तार के लिए 15 सितम्बर को जनसुनवाई रखी गई है जो कई सवाल खड़े करती है। बता दें कि वर्तमान में पावर प्लांट की क्षमता 72.5 मेगावाट है औऱ इसे बढ़ाकर 123.5 मेगावाट हो जायेगा। 72 मेगावाट पावर प्लांट से जब इतना फ्लाई ऐश निकल रहा है जिसका कोई यूटिलाइजेशन नहीं है ऐसे में 123.5 मेगावाट के उत्पादन से क्षेत्र में कितना प्रदूषण फैलेगा विचारणीय है। और जनसुवाई की अनुमति मिलने का आदेश भी कटघरे में खड़ा होता है।