इस्लामाबाद
पाकिस्तान में हर गुजरते साल के साथ आय असमानता बदतर होती जा रही है, जबकि 2023 में गरीबी की दर में तेज वृद्धि देखी गई। विश्व बैंक के अनुसार, गरीबी की कुल संख्या 2023 में 5 प्रतिशत बढ़कर 39.4 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो 2022 में 34.2 प्रतिशत थी। साथ ही देश की संपत्ति कुछ ही लोगों के हाथों में सिमटती रही।
विश्व बैंक के उपाध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री शाहिद जावेद बुर्की ने कहा कि देश की स्थिति बिगड़ती जा रही है। पाकिस्तान अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में खराब प्रदर्शन करता है। सबसे अमीरों की औसत आय सबसे गरीबों की औसत आय से 16 गुना अधिक है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की एक रिपोर्ट से पता चला है कि केवल 22 परिवारों का पाकिस्तान की 66 प्रतिशत औद्योगिक संपत्तियों पर नियंत्रण था, जबकि सबसे अमीर 20 प्रतिशत सबसे गरीब 20 प्रतिशत से सात गुना अधिक उपभोग करते हैं। यह इस बात का प्रमुख प्रतिबिंब है कि पाकिस्तान में आय असमानता कितनी गंभीर है। 2021 विश्व असमानता डेटाबेस के अनुसार, पाकिस्तान के शीर्ष 10 प्रतिशत परिवारों ने देश की कुल आय का 43.9 प्रतिशत अर्जित किया। दूसरी ओर निचली 50 प्रतिशत आबादी केवल 15.7 प्रतिशत ही कमा सकी, जो कि केवल शीर्ष एक प्रतिशत की कुल कमाई के बराबर थी।
पाकिस्तान में आय असमानता एक लगातार समस्या बन गई है। पाकिस्तानी स्तंभकार ज़मूर हाफ़िज़ ने कहा- कुछ अभिजात वर्ग के पास धन के संकेंद्रण के कारण आर्थिक वितरण अंतर बढ़ गया। धन के इस संकेंद्रण ने विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच पर्याप्त असमानताओं को जन्म दिया है, जिससे आर्थिक विभाजन बढ़ गया है।
शिक्षाविद् और लेखक सैयद मोहम्मद अली ने कहा कि पाकिस्तान में आय असमानता जातीय, धार्मिक और लैंगिक पहचान से प्रभावित है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को भी गरीबी का खामियाजा अधिक भुगतना पड़ता है, इसलिए असमानता का एक लैंगिक आयाम भी है।"
यूएनडीपी ने कहा कि पाकिस्तान में आय असमानता के लिए कई आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारक जिम्मेदार हैं। कुछ साल पहले, सरदार मोहम्मद याकूब खान नसर नाम के एक पाकिस्तानी सांसद ने कहा था- ''गरीबों का जन्म अमीरों की सेवा के लिए हुआ है। यह भगवान द्वारा बनाई गई एक प्रणाली है और उसने कुछ लोगों को अमीर और दूसरों को गरीब बना दिया है, और हमें इस प्रणाली में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।"
विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही थी। विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री टोबियास हक ने पाकिस्तान में गंभीर आर्थिक और मानव विकास संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा- "पाकिस्तान का आर्थिक मॉडल अब गरीबी कम नहीं कर रहा है और जीवन स्तर समकक्ष देशों से पीछे हो गया है।"