जगजाहिर है कि स्मार्टफोन में चीन का दबदबा मौजूद है। मेड इन इंडिया के बावजूद बड़े पैमाने पर स्मार्टफोन पार्ट्स को चीन से मंगाया जा रहा है। हालांकि सरकार चीन से स्मार्टफोन पार्ट्स की काट खोज निकाली है। दरअसल मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी Meity ने वित्त मंत्रालय के सामने मांग रखी है कि आगामी बजट सत्र 2024 में मोबाइल फोन कंपोनेंट जैसे प्रिंटिंग सर्किट बोर्ड असेंबली, चार्जर, एडॉप्टर, सेल, माइक, रिसीवर, स्पीकर पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को कम किया जाए।
क्या होगा फायदा?
मोबाइल फोन पार्ट्स पर कम इंपोर्ट ड्यूटी लगाने से स्मार्टफोन बनाने की लागत में कमी आएगी। साथ ही विदेशी कंपनियां ज्यादा संख्या में स्मार्टफोन बनाने की फैक्ट्री भारत में लगाएंगी। इससे भारत में बडे़ पैमाने पर स्मार्टफोन प्रोडक्शन होगा। फोन सस्ते होने की वजह से इसे बाकी देशों को निर्यात किया जाएगा। मतलब साफ है कि भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब बन पाएगा। चीन और वियतनाम जैसे देशों में फोन बनाने में ज्यादा कीमत होने की वजह से स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत का रुख करेंगी। अगर चीन से तुलना करें, तो मौजूदा वक्त में भारत का औसत टैरिफ 8.5% है, जबकि चीन का 3.7% है।
ये की गई शिफारिशें
सरकार से मोबाइल चार्जर, एडाप्टर, पीसीबीए पर इंपोर्ट शुल्क 20 फीसद से घटाकर 15 फीसद करने की सिफारिश की गई है। वही मैकेनिक्स, माइक और रिसीवर और स्पीकर पर ड्यूटी 15 फीस से घटाकर 10 फीसद करने का लक्ष्य तय किया गया है। ऐसा अनुमान है कि इनपुट टैरिफ घटने से स्मार्टफोन निर्यात में इजाफा होगा। इसके वित्त वर्ष 2027 तक करीब चार गुना बढ़कर 39 बिलियन डॉलर (लगभग 3.2 ट्रिलियन रुपये) होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 23 में 11 बिलियन डॉलर (90,000 करोड़ रुपये) था।