कुल्लू। समुद्रतल से करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की पिन पार्वती घाटी में हिमखंड गिरने से करीब 15 हजार भेड़-बकरियां और 150 से अधिक घोड़े फंस गए हैं। 2014 में पार्वती नदी पर बना पुल बहने के बाद अब हिमखंड गिरने से वैकल्पिक मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है। मानतलाई चरागाह में प्रदेश भर से 50 से अधिक भेड़पालक भेड़-बकरियां चराने गए थे। अब मौसम का मिजाज बदलने से यहां कभी भी बर्फबारी हो सकती है। इससे भेड़पालकों की चिंता बढ़ गई है।
भेड़पालक पिछले सात सालों से टुंडाभुज नामक पर टूटे हुए लकड़ी के पैदल पुल की मरम्मत करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार, प्रशासन, वन विभाग और स्थानीय पंचायत ने इस ओर कोई पहल नहीं की है। कुछ साल पूर्व वन विभाग कुल्लू ने यहां पुल बनाने की कवायद शुरू की थी, लेकिन विभागीय लापरवाही से इसका निर्माण नहीं हो सका। बाह्य सराज भेड़पालक समिति के अध्यक्ष पूर्ण चौहान, रोशन लाल, मंडी जिले के सुकेत के श्याम लाल, राजकुमार, बंसी लाल, शामी मोहम्मद, कांगड़ा के धर्म सिंह, नंद लाल, सुकेत मंडी के बुद्धि सिंह, सेसराम, धारी राम, पालमपुर से रोशन लाल ठाकुर ने कहा कि अब सर्दियां आने पर भेड़-बकरियों को निचले इलाकों को ले जाने का समय हो गया है।
पहाड़ों में कभी भी बर्फबारी हो सकती है। पार्वती नदी पर पुल टूटने के बाद भेड़पालकों को जान जोखिम में डालकर एक पहाड़ी से भेड़-बकरियों को लाना पड़ता था, लेकिन इस बार टूंडा भुज नामक जगह पर ग्लेशियर टूटने से पूरा रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है। समिति के अध्यक्ष पूर्ण चौहान, रोशन लाल, मंडी जिला के सुकेत के श्याम लाल, राजकुमार ने कहा कि वह पुल निर्माण के लिए सरकार, प्रशासन, वन विभाग, पशुपालन विभाग से लेकर स्थानीय पंचायत के प्रतिनिधियों से भी मिले हैं। कहा कि पुल को टूटे सात साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक किसी ने सुध नहीं ली है। उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने कहा कि भेड़पालकों की मदद के लिए प्रशासन हरसंभव कदम उठाएगा। इस बारे में वन विभाग को आदेश दिए जाएंगे।