उज्जैन
विक्रम विश्वविद्यालय ने अपने कैम्पस में स्वयं का इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर (मेडिकल कालेज) खोलने के लिए महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को प्रस्ताव दिया है। कहा है कि मेडिकल कालेज खोलना है, 500 करोड़ रुपये दीजिए।
तो विश्वविद्यालय फंड की चिंता से मुक्त होगा
अब यदि मंदिर समिति इस प्रस्ताव को स्वीकृति करती है तो विश्वविद्यालय फंड की चिंता से मुक्त हो जाएगा और मंदिर प्रबंध समिति के प्रकल्पाें में मेडिकल कालेज का नाम भी जुड़ जाएगा। अभी मंदिर समिति अन्न क्षेत्र, लड्डू प्रसाद, धर्मशाला, गोशाला, वैदिक शोध संस्थान का संचालन कर रही और दो हजार कमरों का महाकाल भक्त निवास बनवा रही है। ये सब मंदिर समिति की आय कई गुना बढ़ने से संभव हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार मंदिर समिति की सालाना आय 135 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट भी कर रहा ऐसा
मालूम हो कि आंध्रप्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट द्वारा कई वर्षों से मेडिकल कालेज (बालाजी इंस्टीट्यूट आफ सर्जरी, रिसर्च एंड रिहैबिलिटेशन फार द डिसेबल्ड) का संचालन किया जा रहा है। ये ट्रस्ट लड्डू प्रसाद, जल आपूर्ति, परिवहन सहित कई प्रकल्पों का संचालन भी करता है। इन तमाम बातों की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्यों को उज्जैन में मेडिकल कालेज खोलने में वित्तीय मदद करने का प्रस्ताव दिया। समिति सदस्यों ने प्रस्ताव अच्छा बताकर लिखित रूप में प्रस्ताव प्रशासन को भेजने का आग्रह किया।
सीएम बने यादव, इसलिए अब तेजी से काम
विक्रम विश्वविद्यालय कैम्पस में मेडिकल कालेज खोलने के लिए कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने काफी प्रयास किए हैं। दो मर्तबा शासन कोे प्रस्ताव भेजा और फाइल आगे बढ़ाने को कई मर्तबा स्वयं ने भोपाल भाग-दौड़ भी की मगर बात न बनीं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव बने तो प्रस्ताव आगे बढ़ा। इसी महीने की 5 तारीख को मेडिकल कालेज खोलने की अनुशंसा करने वाली मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग की समिति उज्जैन आई और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के नियम-कायदों की कसौटी पर विश्वविद्यालय को जांचा।
पहले मेडिकल कालेज भवन बनाने के लिए सुमन मानविकी भवन के पीछे चिहि्नत 35 एकड़ जमीन को देखा। फिर जब तक कालेज भवन बन नहीं जाता तब तक के लिए कक्षाओं का संचालन कहां किया जाएगा, उन भवनों को देखा। तत्पश्चात प्रायोगिक ज्ञान के लिए प्रस्तावित 800 बेड के शासकीय जिला अस्पताल और चकर अस्पताल की व्यवस्थाओं को जांचा।
कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय, कुलसचिव अनिल शर्मा, कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र शर्मा के साथ बैठक की। अपनी मौखिक रिपोर्ट में कुलपति को मेडिकल कालेज खोलने के लिए स्थितियां अनुकूल बताई। कहा गया कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग से अनुमति मिल जाती है तो विक्रम विश्वविद्यालय स्वयं का इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर खोल पाएगा। समिति में चेयरमैन डा. धर्मेंद्र झवर, सदस्य प्रो. पीडे सरकार, प्रो. केके अराेरा, प्रो. अशोक पंचोनिया शामिल थे।
सम्राट विक्रमादित्य के नाम से पहचाना जाएगा कालेज
कुलपति ने ‘नईदुनिया’ से कहा है कि विश्वविद्यालय का मेडिकल कालेज, सम्राट विक्रमादित्य इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटरके नाम पहचाना जाएगा। विश्वविद्यालय ने एनएमसी के सारे नियम-कायदों को समझने के बाद ही मेडिकल कालेज खोलने का प्रस्ताव बनाया था, जिसे कार्य परिषद स्वीकृत कर चुका है। मेडिकल कालेज खोलने के लिए 500 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। अधिकांश राशि स्टाफ एवं शिक्षकों के वेतन एवं संसाधन जुटाने पर ही खर्च हो जाएगी।
इन नियमों का पालन जरूरी
कालेज, अस्पताल, छात्रावास एकल परिसर में या अधिकतम दो परिसरों में हों। कालेज और अस्पताल के भूखंडों के बीच की दूरी में यात्रा का समय अधिकतम 30 मिनट हों। अस्पताल में कम से कम 220 बिस्तर हों। कैम्पस में पुस्तकालय, प्रयोगशाला, व्याख्यान कक्ष, बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन, अनुसंधान सुविधा हो। कालेज की वेबसाइट हों। पूरे कैम्पस की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से हों। नया मेडिकल कालेज शुरू करने को अनुमति केवल 50/100/150 सीट पर प्रवेश प्रक्रिया के लिए मिलती है।
ऐसा हुआ तो तीन कालेज हो जाएंगे उज्जैन में
अगर विक्रम विश्वविद्यालय का मेडिकल कालेज खुला तो शहर में तीन मेडिकल कालेज हो जाएंगे। क्योंकि आरडी गार्डी नाम से एक निजी मेडिकल कालेज वर्षों से पहले ही यहां संचालित हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा को अमल में लाने के लिए दूसरा, सरकारी कालेज खोलने को शासन-प्रशासन जिला अस्पताल परिसर और उसके आसपास जमीन तलाश रहा है। तीसरा, विक्रम विश्वविद्यालय का हो जाएगा।
अगर ऐसा हुआ तो चिकित्सा शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उज्जैन की चमक काफी बढ़ेगी। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि उज्जैन की विक्रम उद्योगपुरी में मेडिकल डिवाइस पार्क भी खुल रहा है। ऐसा पार्क जहां मेडिकल उपकरण बनेंगे। यहीं भारत सरकार की कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल कंपनी का प्लांट भी खुल रहा है, जिसमें भारत की चायना पर निर्भरता खत्म करने को एंटीबायोटिक दवा बनाने में उपयोगी मुख्य रासायनिक संरचना 7-एसीए ( 7-एमिनोसेफालोस्पोरेनिक एसिड) का निर्माण किया जाएगा। इस प्लांट का लोकार्पण इसी वर्ष किए जाने का दावा है।