वाराणसी
वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) मामले में हिंदू पक्ष के हक में बुधवार को बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष कोज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा करने का अधिकार दे दिया है। अदालत ने जिला प्रशासन को आदेश दिया है कि 7 दिन के अंदर इसकी व्यवस्था करें। यह तहखाना मस्जिद के भीतर है।
हिंदू पक्ष ने 30 साल बाद इंसाफ होने की बात कही है। यहां पर साल 1993 तक पूजा होती रही है। यह याचिका शैलेंद्र पाठक ने दायर की थी। इसमें हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि साल 1993 में यूपी सरकार ने यहां पूजा पाठ को रुकवा दिया था।
नवंबर 1993 से पहले यहां पूजा पाठ होती रही थी। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि यहां फिर से पूजा-अर्चना शुरू करवाया जाए। इसके विरोध में मुस्लिम पक्ष ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए इसे खारिज करने की मांग की थी।
ज्ञानवापी मामले में कई केस एक साथ चल रहे हैं। इस पूरे विवाद की शुरुआत साल 1669 में हुई थी। हिंदू पक्ष का दावा था कि साल 1669में औरंगजेब के कहने पर यहां शिव मंदिर का ढहा दिया गया था। इसकी जगह यहां पर मस्जिद बनाई गई थी। अपनी इसी बात को साबित करने के लिए हिंदू पक्ष कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।
ज्ञानवापी से जुड़े वजूखाने में सर्वे के मसले पर आज यानी बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी सुनवाई थी। एएसआई ने यहां सर्वे की मांग की थी। इस मांग को भी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
30 साल बाद ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा होगी। जिला प्रशासन को कोर्ट ने बैरिकेडिंग में सात दिन के अंदर व्यवस्था कराने का आदेश जारी किया है। व्यास तहखाना मस्जिद के नीचे है। तहखाना में अब नियमित पूजा अर्चना की जाएगी। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से पूजा अर्चना करवाई जाएगी।
ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा किए संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली गई थी। अदालत ने इस प्रकरण में बुधवार को अपना आदेश सुनाया। अब तहखाने में पूजा करने की अनुमति मिल गई है।
कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू पक्ष ने जश्न मनाया। साथ ही इसे बड़ी जीत भी बताया है। हिंदू पक्ष ने कह कि 30 साल बाद न्याय मिला है। नवंबर 1993 तक यहां पूजा अर्चना की जाती थी। लेकिन नवंबर 1993 में पूजा-पाठ को प्रदेश सरकार ने रुकवा दिया था।
इस वजह से बंद हुआ था व्यासजी का तहखाना
ज्ञानवापी स्थित नंदी के मुख के सामने दक्षिणी दीवार के पास मौजूद तहखाने में वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा। इसी व्यास पीठ से मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, आरती की जाती रही। वर्ष 1993 में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिये पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करा दिया था। ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी करा दी गई थी। दिसंबर 1993 में ही तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के तत्कालीन पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए पूजा-पाठ पर रोक लगा दी। तहखाने में भी ताला लगा दिया था।
वर्ष 1996 में दायर आदिविश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार के वाद में नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तहखाने के एक ताले की दो चाबी का जिक्र किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी के ताला खोलने से मना करने के बाद व्यास पीठ के पंडित सोमनाथ व्यास ने एक चाबी से ताला खोला था। इसके बादज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान नंदी जी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला था।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कब-कब क्या हुआ
- काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल थे।
- मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजास्थल कानून बना दिया। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजास्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजास्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
- अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था। लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था।
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा।
- इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई।
- 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी।
- आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए। 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी।
- छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। मामला कोर्ट पहुंचा।
- 12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जहां, ताले लगे हैं, वहां ताला तुड़वा दीजिए। अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई करिए, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए।
- 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा था कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। मामले की सुनवाई 17 मई को करने को कहा।
- 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई।
- 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं। इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला।
- इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द से जल्द सुनवाई का आदेश दिया था।
- 12 सितंबर को कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी।
- 12 सितंबर को ही इस मामले से जुड़ी पांच याचिकाओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इनमें से तीन पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
- 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया।
- 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई।
- 31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी।