आज नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव के आभूषण नागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी का दिन काल सर्प दोष निवारण के लिए उत्तम होता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन नागदेव की कृपा से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं और जीवन से सारी समस्याएं खत्म होने लगती हैं। नागपंचमी के दिन शिव पूजन के बाद नागदेव की पूजा करनी चाहिए।
नागपंचमी की पूजन विधि-
सुबह-सुबह स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें। बेलपत्र और जल से उनका अभिषेक करें। इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करें। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इन्हें चने, खील बताशे और कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करें। घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें। मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
नागंपचमी का महत्व-
सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है। भगवान श्री हरि विष्णु भी शेषनाग पर ही विराजमान होते हैं। वहीं भगवान शिव भी आभूषण के रूप में सर्प को गले में धारण करते हैं। भगवद्गीता में नागों के नौ प्रकार का जिक्र है जिनकी पूजा करने को कहा गया है। पौराणिक काल में ऋषि-मुनि नागों की पूजा के लिए कई तरह के व्रत और पूजन करते थे। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक के बाद नाग देवता की पूजा करने से जीवन से कालसर्प दोष खत्म होता है और राहु और केतु की अशुभता दूर होती है।
कुंडली दोष दूर करने के उपाय-
कुंडली में राहु-केतु की बुरी दशा से परेशान हैं तो आज के दिन कुछ खास उपाय करें। एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें। इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। राहु के मंत्र ‘ऊं रां राहवे नम:’ और केतु के मंत्र ‘ऊं कें केतवे नम:’ का जाप करें।मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं। फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी। जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए। जिनको सांप के सपने आते हों या इससे डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए।