नईदिल्ली
राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा होने में कुछ ही दिन बचे हैं। मंदिर ट्रस्ट की ओर से भेजे गए आमंत्रण को कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद कांग्रेस के अंदर ही घमासान मच गया। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने खुले तौर पर आमंत्रण अस्वीकार करने का विरोध किया तो कुछ ने दबे स्वर में नाराजगी जताई।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर निर्मल खत्री ने सोशल मीडिया पर अपने मन की बात रखते हुए ये साफ किया है कि वो राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। उन्होंने इस निमंत्रण को व्यक्तिगत बताते हुए स्वीकार किया है।
'राम भक्त होना कोई पाप नहीं'
निर्मल खत्री ने एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखा है। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि राम भक्त होना पाप नहीं है। उन्होंने आगे लिखा, "*राम भक्त होना कोई पाप नही है, मुझे इस भक्ति पर गर्व है । और मुझे इस बात पर भी गर्व है कि मैं प्रभु राम की नगरी का निवासी ही नही वरन मेरी जन्मस्थली व कर्म भूमि भी अयोध्या है। सभी धर्मों के लोगो को अपने अपने इष्ट देवो पर गर्व करना भी चाहिए।"
राम कथा के कुछ श्लोक सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उन्होंने अपनी बातों को स्पष्ट करने की कोशिश की है। उन्होंने महात्मा गांधी के राम को सनातन अजन्मा बताते हुए लिखा कि वो आत्मशक्ति का उपासक है वह निर्बल का सहारा है उसकी कसौटी प्रजा का सुख है।
धर्म के पाखंड का विरोधी हूं: खत्री
कांग्रेस नेता ने कहा, "मैं धर्म के पाखंड का विरोधी, धर्म के सहारे राजनीतिक लाभ लेने के हथकण्डे का विरोधी हूं. मैं व्यक्तिगत जीवन में न कोई व्रत रखता हूं और न ही पूजा पाठ. हां रामभक्त हनुमान जी का हृदय में स्थान है और उन्हीं को रोज याद कर अपना प्रत्येक दिन व्यतीत करता हूं. ईश्वर के प्रति भक्ति और आस्था मुझमें है."
फैजाबाद के पूर्व सांसद ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कई तीर्थयात्राएं की हैं, जिनमें अमरनाथ यात्रा, वैष्णों देवी यात्रा, रामेश्वरम, पुरी जगन्नाथ, नासिक त्रयम्बकेश्वर, काशी विश्वनाथ, श्रीनगर शंकराचार्य मंदिर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगौत्री, हरिद्वार, उज्जैन महाकाल, ओंकारेश्वर, द्वारिका, मथुरा, वृंदावन, सोमनाथ मन्दिर, विघ्नेश्वर मन्दिर, तिरुपति, शिरडी साईबाबा शामिल है.
देश के लोगों की आवाज बने राहुल: निर्मल खत्री
राहुल गांधी को लेकर निर्मल खत्री ने कहा कि देश के लोगों की आवाज बनकर उनकी समस्याओं को उजागर करने और उन्हें विश्वास दिलाने के लिए राहुल गांधी उनके साथ खड़ा है. वह एक लंबी यात्रा जो मणिपुर से महाराष्ट्र तक होगी, उसके लिए निकले हैं. किसी भी दल या संगठन की विचारधारा से लड़ाई वैचारिक आधार पर अपने संगठन को मजबूत करके ही की जा सकती है न की कोई जबावी इवेंट कर हम अपने प्रतिद्वंदी से मुकाबला कर पाएंगे.