नई दिल्ली
दुनिया में अमीर (Rich) और गरीब (Poor) के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है. अरबपतियों की दौलत बढ़ रही है और वो लगातार ज्यादा रईस होते जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ गरीबों की संख्या भी बढ़ती जा रही है क्योंकि लोगों की कमाई घट रही है. स्विटजरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की बैठक में ऑक्सफेम की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दुनिया के 5 सबसे रईस लोगों की दौलत 2020 के बाद से दोगुनी से ज्यादा हो गई है. इसके मुताबिक, मौजूदा रुझान जारी रहा तो एक दशक के भीतर ही दुनिया को पहला Trillionaire यानी खरबपति मिल जाएगा.
229 साल तक दुनिया से गरीबी (Poverty) खत्म नहीं होगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 के बाद से अब तक 5 अरब लोगों की आमदनी घटी है और गरीबों की संख्या बढ़ी है. ऑक्सफेम की रिपोर्ट में इस ट्रेंड के आधार पर गंभीर चिंता जाहिर की गई है. इसमें कहा गया है कि अगर ये रुझान जारी रहा तो अगले 229 साल तक भी दुनिया से गरीबी खत्म नहीं होगी. ऑक्सफैम ने हर साल की तरह वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की एनुअल बैठक के दौरान अपनी सालाना असमानता रिपोर्ट जारी करते हुए ये जानकारी दी है.
3 साल में दोगुनी हुई अमीरों की संपत्ति (Billionaire Net Worth)
अमीरों की बढ़ती दौलत पर रोशनी डालते हुए ऑक्सफेम की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 10 सबसे बड़े कॉरपोरेशन में से सात में सीईओ या प्रमुख शेयल होल्डर एक अरबपति (Billionaire) है. 148 टॉप कॉरपोरेशन ने 1800 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया जो तीन साल के औसत से 52 फीसदी ज्यादा है. इस अवधि में अमीर शेयर होल्डर्स को भारी भुगतान किया गया जबकि करोड़ों लोगों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ा. असमानता और ग्लोबल कॉरपोरेट शक्ति पर ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के 5 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 2020 के बाद से 1.4 करोड़ डॉलर प्रति घंटे की दर से बढ़ी है. इस दौरान ये 405 अरब डॉलर से दोगुनी से ज्यादा बढ़कर 869 अरब डॉलर हो गई है.
अमीर-गरीब की खाई ज्यादा गहरी हुई
गरीबी और अमीरी की बढ़ती खाई के बीच दौलत के असमान बंटवारे की मिसाल देते हुए ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने कहा है कि ‘ग्लोबल नॉर्थ’ के अमीर देश वैश्विक आबादी के महज 21 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं. लेकिन इन देशों की वैश्विक संपत्ति में 69 परसेंट हिस्सेदारी है. इसमें कहा गया है कि दुनिया के 74 फीसदी अरबपतियों की संपत्ति ‘ग्लोबल नॉर्थ’ के अमीर देशों में है. साफ है कि जबतक दुनियाभर में आय में असमानता की ये भारी खाई कम नहीं होगी तबतक संपन्नता का अंतर ऐसे ही बना रहेगा जो सामाजिक दूरी की भी सबसे बड़ी वजह है.