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आय – व्यय अनुदान मांगों की चर्चा पर विधायकों को दिए टिप्स

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 भोपाल

विधानसभा में चले रहे विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम के दूसरे दिन बजट पर होने वाली चर्चा को लेकर विधायकों को टिप्स दिए गए हैं। जिसमें विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस के सीनियर विधायक डॉ. राजेंद्र सिंह के साथ ही लोकसभा के निदेशक पार्था गोस्वामी और विधानसभा के अपर सचिव वीरेंद्र कुमार ने दिए। जबकि विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने संसदीय प्रक्रियाएं और स्थगन, ध्यानाकर्षण संबंधी प्रक्रिया की जानकारी विधायकों को दी।

राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले सदन में जो शब्द प्रयोग होते थे वह आज नहीं हो रहे हैं। कोई दल जब विपक्ष में रहता है, तब दूसरी बात करता है और जब सत्ता पक्ष में रहता है तब कुछ और बात करता है। लेकिन हमारा लक्ष्य सिर्फ विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के ऊपर बहुत कर्ज है। आज सबसे बड़ा कर्जदार देश अमरीका है। अमरीका अपनी जीडीपी का 122 फीसदी कर्जदार है। उन्होंने कहा कि वे जो कह रहे हैं उसे उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा बेहतर तरीके से समझ रहे होंगे। उन्होंने कहा कि सदन में कुछ न बोले जो भी चलेगा, लेकिन सदन में उपस्थिति अनिवार्य होना चाहिए।

सिंह ने बताया कि वर्ष 1967 में कांग्रेस की सरकार थी, अनुदान मांग पर चर्चा हुई और सरकार गिर गई। विनियोग विधेयक प्रस्तुत करने का कोई विरोध नहीं कर सकता है। जिस दिन विनियोग विधेयक रखा जाता है, उस दिन उस पर चर्चा नहीं होती, लेकिन नियम अब शिथिल हो गए हैं और कुछ लोग उस दिन ही चर्चा करने लगते हैं। मैंने सदन में यह दोनों स्थितियां देखी हैं।

तोमर का व्यक्तिव प्रशांत महासागर जैसा गहरा
डॉ. राजेंद्र सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह को लेकर कहा कि उनका व्यक्तिव प्रशांत महासागर जैसा गहरा और हिमालय जैसा ऊंचा है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी खासी उम्मीद जताई। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि उन्होंने अर्जुन सिंह, प्रकाश चंद सेठी, श्यामाचरण शुक्ला जैसे धाकड़ मुख्यमंत्री देखे। अब डॉ. मोहन यादव से उन्हें खासी उम्मीद है।

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