Home Uncategorized पैरों से तीर चलाने वाली तीरंदाज शीतल जाएंगी पेरिस

पैरों से तीर चलाने वाली तीरंदाज शीतल जाएंगी पेरिस

14
0

नई दिल्ली

पैरों से तीर-धनुष चलाने वाली शीतल देवी ने पिछले साल पैरा एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।राष्ट्रपति भवन में जब अर्जुन पुरस्कार के लिए उनका नाम लिया गया तो पूरा हॉल तालियां की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। हर कोई उन्हें अवॉर्ड लेते देख खुश हो रहे थे। उन्हें देखकर सिर्फ यही लग रहा था कि शारीरिक अक्षमता होने के बावजूद अगर मनोबल ऊंचा रखें तो मंजिल पाया जा सकता है।

 शीतल देवी की कहानी जबरदस्त धैर्य और दृढ़ संकल्प की मिसाल है, लेकिन कई लोग अभी भी उनकी अविश्वसनीय यात्रा से अनजान हैं। वे इस बात से अनजान हैं कि कैसे शीतल ने तीरंदाजी को अपनाया और चैंपियन एथलीट के रूप में उभरीं। विश्व नंबर- 1 पैरा तीरंदाज, जिन्होंने हाल के एशियाई पैरा खेलों में दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता, अब पेरिस में अगले साल होने वाले पैरालिंपिक खेलों में अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

शीतल ने कहा, 'कुछ साल पहले तक मैंने जम्मू-कश्मीर से बाहर कदम भी नहीं रखा था। जब मैं अलग-अलग देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं तो थोड़ा अभिभूत महसूस होता है। मैं उन क्षणों को शांति और विनम्रता से संभालती हूं और सुनिश्चित करती हूं कि मेरे तीर निशाने पर लगें। मेरी नजरें पेरिस पैरालिंपिक पर हैं। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हूं कि पोडियम पर भारतीय ध्वज ऊंचा लहराए और मैं यथासंभव अधिक से अधिक पदक लेकर आऊं।'

जब शीतल को एहसास हुआ कि प्रोस्थेटिक्स उनके लिए काम नहीं करता है, तो उन्होंने और उनके परिवार ने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। तभी उन्होंने प्रीति द्वारा लिखित पुस्तक – बीइंग यू: अगेंस्ट ऑल ऑड्स में शरथ गायकवाड़ और शेखर नाइक की कहानियां देखीं, जिससे वह प्रेरित हुई।

प्रीति ने कहा, 'जब हम उनसे पहली बार 2021 में बेंगलुरु में मिले थे, तो शीतल केवल कृत्रिम हाथ लगवाने की इच्छुक थीं। काफी समझाने के बाद उन्होंने खेल में उतरने का फैसला किया। मैं और मेरी टीम आश्वस्त थे कि शीतल में एक एथलीट बनने के सभी गुण और क्षमताएं हैं। गोस्पोर्ट्स की मदद से, हम स्पोर्ट्स फिजियो श्रीकांत अयंगर के पास पहुंचे और उन्होंने उसकी उत्कृष्ट मूल शक्ति को पहचाना, जो उसने अपने गांव में नियमित रूप से पेड़ों पर चढ़ने के दौरान विकसित की थी और इस तरह यह निर्णय लिया गया कि उसे तीरंदाजी अपनानी चाहिए।'

हाल के टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन के बाद पहले से ही दुनिया में नंबर-एक पैरा तीरंदाज, शीतल का लक्ष्य देश को और अधिक गौरव दिलाना है। शीतल कटरा में माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आगामी प्रतियोगिताओं के लिए प्रशिक्षण लेना जारी रखेंगी। बोर्ड ने खेल में आने के बाद से लगातार इस पैरा तीरंदाज का समर्थन किया है।चूंकि उन्होंने पहले ही पैरालिंपिक की तैयारी शुरू कर दी है, इसलिए उनका ध्यान अब अपनी प्रशिक्षण व्यवस्था पर है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here