रायपुर
छत्तीसगढ़ में नए सत्र से पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षा एक बार फिर बोर्ड परीक्षा हो सकती है। दरअसल, प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पहली से आठवीं तक के स्कूली बच्चे भी परीक्षा देकर ही उत्तीर्ण होंगे। अब लोक शिक्षण संचालनालय भी नए सत्र से नई व्यवस्था बनाने में जुट गया है। हालांकि अभी इस साल पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा नहीं होगी।
बताया जाता है कि केंद्र सरकार पांच साल पहले पहली से आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव करके फेल और पास करने का अधिकार राज्य सरकारों को दे दिया है। इसके चलते पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश ने पांचवीं-आठवीं बोर्ड परीक्षा ले रहा है।
इधर, छत्तीसगढ़ समेत देशभर में बच्चों को फेल और पास करने के सिस्टम को खत्म कर साल 2010 में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) लागू कर दिया गया था। तभी से पहली से आठवीं तक फेल करने के सिस्टम को खत्म कर दिया गया था। अब कई राज्यों में आरटीई में संशोधन के बाद एक बार फिर पांचवीं और आठवीं में पास और फेल सिस्टम को लागू कर दिया है।
इसी तरह अब छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इस संबंध में फैसला लेने का विचार किया जा रहा है। अभी सरकार ने तय किया है कि कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को फेल न किया जाए। कक्षा स्तर पर इनका मूल्यांकन करने के लिए टेस्ट लिया जाता है। इसके बाद बच्चों को ग्रेड दिया जाता है। ग्रेड से ए से लेकर ई तक है।
45 लाख से अधिक बच्चे
प्रदेश सरकारी और निजी स्कूलों को मिलाकर करीब 45 लाख से अधिक बच्चे कक्षा पहली से आठवीं तक के हैं। ये आंकड़ा छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के तहत आने वाले स्कूलों का है। यदि सरकार नई व्यवस्था करती है तो सीधे इन बच्चों पर असर पड़ेगा।
परीक्षा को लेकर बच्चों और अभिभावकों में डर
स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अब तक आठवीं के बच्चों की परीक्षा बंद कर दी गई थी। अब परीक्षा होगी। भले उन्हें प्रमोशन दे दिया जाए। उन्होंने कहा कि परीक्षा को लेकर बच्चों और अभिभावकों में भी डर होता है। इससे एक-दूसरे को देखकर अच्छे नंबर लाने की प्रतियोगिता भी होती है। वहीं इस निर्णय का सर्व शिक्षक संघ ने भी स्वागत किया है। संघ ने कहा कि बच्चों में जिम्मेदारी भी आएगी वे अच्छे नंबर ला सकेंगे।
सिस्टम से शिक्षा की गुणवत्ता खराब
शिक्षाविद् भी मान रहे हैं कि पास करने के सिस्टम के कारण छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता खराब हो गई है। हाई स्कूल के शिक्षक कहते हैं कि बच्चे जब नौवीं कक्षा में प्रवेश करते हैं तो उनमें से ज्यादातर बच्चे ठीक से हिंदी, अंग्रेजी को भी नहीं पढ़ पा रहे हैं। इसके अलावा रोज स्कूल भी नहीं आ पाते हैं। इसका कारण पहली से आठवीं तक पास की सिस्टम है। हालांकि इस संबंध में भी छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने कुछ साल पहले पांचवीं और आठवीं में फेल और पास करने की सिफारिश की थी, लेकिन इस संबंध में निर्णय नहीं हो पाया।
लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक दिव्या उमेश मिश्रा ने कहा,पहली से पांचवीं और आठवीं परीक्षा को लेकर सरकार के जो निर्देश होंगे, उन्हीं के अनुसार काम किया जाएगा।