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पुरातत्व विभाग: 2024 में जीआईएस मेपिंग, ऑडियो-विजुअल गाइड जैसी तकनीकों का होगा उपयोग

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भोपाल
पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालय, भोपाल राज्य के समृद्ध ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों की सुरक्षा के उद्देश्य से जीर्णोद्धार, संरक्षण और तकनीकी नवाचार में उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में उभरा है। आयुक्त श्रीमती उर्मिला शुक्ला के नेतृत्व में संचालनालय ने 2023 में विरासत संरक्षण के क्षेत्र उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 2024 के लिये विभाग द्वारा एक उत्कृष्ट रूपरेखा के माध्यम से कार्ययोजना तैयार की गई है।

विभाग द्वारा जीआईएस मेपिंग, सैटेलाइट इमेजरी, और एरियल फोटोग्राफी के जरिये विरासत संरक्षण की पहल की जाएगी। संरक्षित स्थलों के आकार, स्थिति, और विशेष विवरणों का निरीक्षण करने में मदद मिलेगी। जीआईएस मेपिंग से प्राप्त किए गए तथ्यों का उपयोग करके संरक्षण क्षेत्रों की निगरानी की जा सकती है। यह स्थलों की अवस्था, परिस्थितियों, और उनमें किसी भी परिवर्तन को निगरानी में रखने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे अवैध गतिविधियों की पहचान और निरस्तीकरण किया जा सकता है। आयुक्त श्रीमती उर्मिला शुक्ला ने बताया कि जीआईएस मेपिंग से प्राप्त किए गए तथ्यों का उपयोग संरक्षण क्षेत्रों की निगरानी के लिये होगा। यह उक्त स्थलों की अवस्था, परिस्थितियों, और उनमें किसी भी परिवर्तन को निगरानी में रखने की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे अवैध गतिविधियों की पहचान और निरस्तीकरण किया जा सकेगा।

अमूल्य धरोहरों का संरक्षण
संचालनालय ने प्रदेश के 40 से ज्यादा जिलों में व्यापक पुरातात्विक सर्वेक्षण किए हैं, जिसमें इन क्षेत्रों के ऐतिहासिक सार को प्रकाशित पुस्तकों में समाहित किया गया है। वर्ष 2023 में, 12 तहसीलों में गहन पुरातात्विक सर्वेक्षणों ने राज्य की समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की समझ और दस्तावेज़ीकरण को आगे बढ़ाया। उपलब्धियों में प्रमुख हैं- उज्जैन और मनोरा (सतना जिला) में किए गए व्यापक उत्खनन प्रयास, सदियों पुराने अवशेषों का पता लगाना और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करना। इसके अतिरिक्त, निदेशालय ने 2016 से 40 से अधिक मंदिरों से मलबा हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे देवबडला, सीहोर, महाकाल परिसर उज्जैन में कलमोडा मंदिर, रतलाम में राजापुरा, झाबुआ में समोई, खंडवा में ओंकारेश्वर, मऊ (शहडोल) में पवित्र स्थलों का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है। मुंबई में प्रतिष्ठित छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय (सीएसएमवीएस),  में जिला पुरातत्व संग्रहालय, विदिशा से 10वीं शताब्दी की प्रतिष्ठित आदि वराह मूर्ति का प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। यह मूर्ति अपने ऐतिहासिक महत्व से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हुए केंद्र में आ गई।    

मंदिरों की खुदाई की योजना
आयुक्त श्रीमती शुक्ला ने बताया कि, साल 2024 में सलकनपुर (सीहोर जिला), रतलाम, देवबडला (सीहोर), मऊ (शहडोल) और आशापुरी (रायसेन) में लगातार मलबा हटाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, मनोरा में 109 आवासीय टीलों और मंदिरों की खुदाई की योजना और भी ऐतिहासिक रहस्यों को उजागर करेगी। जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, 2024 में एक अंतरराष्ट्रीय विरासत जागरूकता सेमिनार का आयेाजन किया जायेगा।

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