नई दिल्ली
विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता और इंडिया ओपन 2023 के चैंपियन थाईलैंड के कुनलावुत वितिदसार्न ने कहा कि पिछले साल विश्व चैंपियन बनने के बाद उन्होंने काफी दबाव महसूस किया जिसके कारण उन्हें कुछ टूर्नामेंट से हटना भी पड़ा लेकिन अब वह वापसी करके ओलंपिक में खेलने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं।
कुनलावुत ने पिछले साल फाइनल में डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन को 22-20, 10-21, 21-12 से हराकर इंडिया ओपन का खिताब जीता था। वह आज से शुरू हो रहे इंडिया ओपन 2024 में अपने अभियान की शुरुआत डेनमार्क के मैग्नस योहानसेन के खिलाफ करेंगे।
दुनिया के सातवें नंबर के खिलाड़ी कुनलावुत ने प्रेस काफ्रेंस के इतर संवाददाताओं से कहा, ''पिछला साल मेरे लिए अच्छा रहा। इंडिया ओपन के लिए मेरी तैयारी अच्छी है। इंडिया ओपन के बाद मैं सुपर 500 टूर्नामेंट पर ध्यान लगाऊंगा। मैं वापसी करने की कोशिश करूंगा क्योंकि पिछले साल विश्व चैंपियनशिप के बाद मैं काफी टूर्नामेंट नहीं खेल पाया था। मैंने कुछ समय आराम भी किया पर अब मैंने अपने कोच से भी कहा है कि मैं अधिक सुपर 500 टूर्नामेंट खेलना चाहता हूं। ओलंपिक में खेलना मेरा सपना है और मैं इसे साकार करने के लिए तैयार हूं।''
उन्होंने कहा, ''मैं अधिक टूर्नामेंट खेलना चाहता हूं और सामंजस्य बैठाकर अपने प्रदर्शन में निरंतरता लाना चाहता हूं। विश्व चैंपियनशिप जीतना मेरा सपना था और मैं इससे काफी खुश था लेकिन इससे मेरे ऊपर दबाव भी बना। मैं अच्छी तरह से अभ्यास नहीं कर पाया जिसके कारण मुझे कुछ प्रतियोगिताओं से हटना भी पड़ा।''
कुनलावुत ने पिछले साल डेनमार्क के कोपेहेगन में विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जापान के कोडाई नारोआका को 19-21, 21-18, 21-7 से हराकर खिताब जीता था। इसके अलावा 2023 में वह थाईलैंड ओपन में भी चैंपियन बने।
विश्व चैंपियनशिप के बाद बने दबाव के संदर्भ में थाईलैंड के इस खिलाड़ी ने कहा, ''विश्व चैंपियनशिप मेरे लिए किसी अन्य टूर्नामेंट की तरह ही थी। मैं विश्व चैंपियन बनकर काफी खुश था लेकिन इसके बाद मैंने काफी दबाव महसूस किया जिसका असर मेरे खेल पर भी पड़ा। विरोधी खिलाड़ी भी मुझे ध्यान में रखकर तैयारी कर रहे थे जिससे मैं दबाव महसूस करने लगा। मैं अब वापसी करते हुए बेहतर प्रदर्शन करना चाहता हूं।''
कुनलावुत से जब यह पूछा गया कि क्या उन्होंने दबाव से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ली है तो उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि वह अधिक मुकाबले खेलकर उनसे सीखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ''मैंने दबाव से निपटने के लिए किसी मनोवैज्ञानिक की मदद नहीं ली। मैं बस अधिक से अधिक खेलना चाहता हूं जिससे कि अपने खेल से सामंजस्य बैठा सकूं। मैं टूर्नामेंटों में खेलकर सीखना चाहता हूं और मुझे यकीन है कि इससे दबाव से निपटने में मदद मिलेगी। अब से प्रत्येक मैच महत्वपूर्ण है और मैं इनसे सीखने की कोशिश करूंगा।''
कुनलावुत ने कहा, ''अभी मुझे कोई फिटनेस समस्या नहीं है। मेरे खराब प्रदर्शन का कारण मानसिक पहलू और दबाव है। विश्व चैंपियनशिप जीतने के बाद मुझे कोर्ट के बाहर काफी समय बिताना पड़ा, साक्षात्कार देने पड़े। इसमें अभ्यास का काफी समय खराब हुआ। मैं लगातार अभ्यास नहीं कर पाया और मुझे कुछ टूर्नामेंट से हटना पड़ा।''
कुनलावुत अपने हमवतन बूनसैक पोनसाना और मलेशिया के दिग्गज खिलाड़ी ली चोंग वेई को अपना आदर्श मानते हैं और उन्होंने इन दोनों दिग्गजों से काफी कुछ सीखा है और अपने खेल को उनकी शैली के अनुरूप ढालने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, ''बूनसैक और ली चोंग वेई मेरे आदर्श रहे हैं। दोनों के खेलने की शैली अलग है और मैंने उनके खेल से सीखने की कोशिश की है। उनके खेल के अनुसार अपने खेल को ढालने का प्रयास किया है। थाईलैंड में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो भविष्य के स्टार हो सकते हैं जिससे बैडमिंटन में देश का भविष्य उज्जवल है।''