राम मंदिर में 22 जनवरी को राम लला विराजित होंगे. राम मंदिर के ध्वज में सूर्य के साथ कोविदार पेड़ भी चिन्हित होगा, क्या है इस पेड़ का धार्मिक महत्व, क्या है इसका राम राज्य से संबंध
राम मंदिर के शिखर पर सजने वाला ध्वज बहुत खास माना जा रहा है. ध्वज में सूर्य कोविदार पेड़ को भी खास जगह दी गई है. सूर्य को सूर्यवंशी के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है.
हरिवंश पुराण के अनुसार कोविदार वृक्ष अयोध्या के राजध्वज में अंकित हुआ करता था. इसलिए इसे भव्य राम मंदिर के ध्वज में चिन्हित किया गया है. वाल्मीकि रामायण में इस झंडे का जिक्र महर्षि वाल्मीकि ने किया है.
‘एष वै सुमहान् श्रीमान् विटपी सम्प्रकाशते। विराजत्य् उद्गत स्कन्धः कोविदार ध्वजो रथे. वाल्मीकि रामायण में लिखे इस कथन के अनुसार जब भरत श्रीराम से अयोध्या वापस लौटने की प्रार्थना के लिए चित्रकूट गये थे, तब उनके रथ पर कोविदार पेड़ ध्वजा पर अंकित था. लक्ष्मण जी ने दूर से ही ध्वजा देखकर पहचान लिया था कि यह अयोध्या की सेना है.
एक तरह से कोविदार का वृक्ष अयोध्या का राज वृक्ष हुआ करता था. जैसे कि वर्तमान में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है. इसलिए इसे अयोध्या में श्रीराम राज्य के ध्वज में जगह दी गई.
कोविदार पेड़ में अनेक औषधीय गुण पाये जाते हैं जिनका वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथो में पाया जाता है. पर्यावरण और स्वास्थ के लिहाज से ये बहुत महत्वपूर्ण पेड़ माना जाता है.