मास्को
भारत को बार-बार धमकी देने वाले अमेरिका ने रूस से तेल खरीदा है। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रतिबंध लगाने के बाद पहली बार रूस से यह तेल खरीदा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका की ओर से नवंबर 2023 में यह तेल खरीदा गया है। इससे पहले मार्च 2022 में अमेरिका ने रूस से तेल और ऊर्जा संसाधनों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका ने रूस की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए तेल आयात प्रतिबंध लगाए थे। आखिरी बार अमेरिकी कंपनियों ने अप्रैल 2022 में रूस से तेल का आयात किया था। अमेरिका ने तेल आयात को लेकर भारत को कई बार धमकाया था लेकिन अब वह खुद ही रूस से तेल खरीदने का मजबूर हो गया है।
स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने 35 लाख डॉलर का तेल रूस से खरीदा है। रूस से खरीदा हुआ तेल अमेरिका पहुंच भी गया है। इस बीच पुतिन से तेल खरीदने वाले अमेरिका ने दावा किया है कि जी7 देशों की ओर से रूसी तेल पर लगाया गया प्राइस कैप काम कर रहा है। अमेरिका का यह प्राइस कैप अक्टूबर से काम कर रहा है और इससे रूस की तेल से होने वाली कमाई में गिरावट आई है। इसका असर अब भारत तक हो रहा है। इसकी वजह से अब रूस 60 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर तेल नहीं बेच पा रहा है।
रूसी तेल पर अमेरिका का प्राइस कैप
इसका असर उन तेल टैंकर पर भी पड़ रहा है जो रूसी तेल लेकर चोरी छिपे जाते थे। रूस के इस प्राइस कैप को जी7 के अलावा यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने लगाया है। इससे 60 डॉलर के ऊपर प्राइस कैप वाले तेल को ले जाने का बीमा और उसको जहाजों से भेजे जाने पर पश्चिमी देशों की मेरिटाइम सर्विसेज ने बैन लगा दिया है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने मास्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। अब रूस को 18.50 डॉलर प्रति बैरल की सब्सिडी देनी पड़ रही है।
इससे पहले अमेरिका ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर बार-बार धमकी दी थी। यहां तक कई अमेरिकी नेता भारत के खिलाफ प्रतिबंध की वकालत करने लगे थे। अब खुद अमेरिका रूस से तेल खरीदने लगा है। उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की बार बार अमेरिका से हथियारों की गुहार लगा रहे हैं लेकिन इजरायल हमास युद्ध की वजह से उन्हें पर्याप्त हथियार नहीं मिल पा रहा है। इस बीच अमेरिका को इजरायल और हूतियों के बीच फंसा देख रूस ने भी यूक्रेन पर अपने हमले तेज कर दिए हैं। इससे जेलेंस्की की मुश्किल कई गुना बढ़ गई है।