चेन्नै
बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए उन राज्यों के तरफ देख रही है, जहां से पहले सफलता नहीं मिली। भारत से पांच दक्षिणी राज्यों में कुल 129 लोकसभा सीटें हैं और 2019 में को केवल 29 सीटों पर सफलता मिली। कर्नाटक की 25 और तेलंगाना की चार सीटों के अलावा बाकी बचे तीन राज्य केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला। अब बीजेपी 20 लोकसभा सीट वाले केरल का मिथक तोड़ने और दक्षिण के 5 राज्यों में सीट दोगुना करने की प्लानिंग कर रही है। अभी तक के चुनावी इतिहास में भारतीय जनता पार्टी को केरल में एक लोकसभा सीट पर भी जीत नसीब नहीं हुई। पिछले दिनों पीएम मोदी ने त्रिशूर ने रोड शो और रैली कर अपनी मंशा जता दी । अब बीजेपी नेता तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में कैंपेन शुरू करने वाले हैं। कर्नाटक में बीजेपी का आधार है, पिछले चुनाव में वहां से 25 सीटें मिली थीं। जेडी एस से समझौते के बाद इस बार भी पीएम मोदी कर्नाटक में बड़ी जीत की उम्मीद कर रहे हैं।
केरल की चार सीटों पर नायर, एझावा और गैर कैथोलिक क्रिश्चियन पर नजर
केरल एक ऐसा राज्य है, जहां हिंदुओं की आबादी 54 फीसदी से अधिक है। इस राज्य में 26.56 आबादी मुस्लिम और 18 फीसदी ईसाई है। बीजेपी हिंदू वोटर वाले इलाके में फोकस कर रही है। यहां बीजेपी की उम्मीद आरएसएस की मौजूदगी के कारण जिंदा है, मगर पार्टी के कार्यकर्ता ग्राउंड पर कम ही नजर आते हैं। अभी तक के चुनावों में मजबूत दावेदारी नहीं होने के कारण राइट विंग के वोटर कांग्रेस को वोट देते रहे। पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने एक्टर सुरेश गोपी, के पी श्रीसन, कुम्मनम राजशेखरन और ओ राजगोपाल जैसे नेताओं को मैदान में उतारकर अपनी मजबूत मौजूदगी का एहसास कराया है। जीत के लिए बीजेपी एझावा समुदाय और क्रश्चियन वोटरों के बीच अपनी बैठ बना रही है। इस चुनाव में पार्टी कई सीटों पर एझावा समुदाय के नेताओं को मैदान में उतार सकती है। बीजेपी की नजर त्रिशूर, मध्य केरल में पथानामथिट्टा, एटिंगल और तिरुवनंतपुरम लोकसभा पर टिकी है।
एक्टर सुरेश गोपी को फिर से त्रिशूर में उतारेगी बीजेपी
त्रिशूर लोकसभा सीट से एक बार फिर पूर्व राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी को पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है। 2019 के चुनाव में सुरेश गोपी ने 28.2 फीसदी वोट हासिल किए थे। इसके अलावा तिरुवनंतपुरम सीट पर भी कांग्रेस नेता शशि थरूर के मुकाबले के लिए बड़े चेहरे को उतारा जा सकता है। तिरुवनंतपुरम सीट से चौथी बार शशि थरूर मैदान में होंगे। 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में बीजेपी ने इस सीट से चुनाव हारी तो जरूर, मगर हर चुनाव में वोटों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी की। 2019 के चुनाव में बीजेपी के नेता कु्म्मनम राजशेखरन को 31 फीसदी और कांग्रेस नेता शशि थरूर को 41 फीसदी वोट मिले थे। पथानामथिट्टा सीट पर भी बीजेपी का वोट शेयर 28 फीसदी के करीब पहुंचा था। एटिंगल लोकसभा सीट पर भी पार्टी को 24 फीसदी वोट मिले थे। बीजेपी को उम्मीद है कि केरल में सवर्ण माने जाने वाले नायर, गैर कैथोलिक क्रिश्चियन और एझावा समुदाय के करीब जाकर इन सीटों को जीता जा सकता है।
तमिलनाडु में 7 सीट जीतने के लिए पिछड़ा, ब्राह्मण और नाडार कॉम्बिनेशन
1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तमिलनाडु में सर्वाधिक 4 सीटें मिली थी। पार्टी ने नीलगिरी, कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली और नागरकोइल से चुनाव जीता था। 2014 के चुनाव में पार्टी को एक सीट मिली मगर पिछले आम चुनाव में बीजेपी का खाता नहीं खुला। बीजेपी ने तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से सात जीतने का लक्ष्य बनाया है। 2024 के लिए पार्टी ने नीलगिरी, रामनाथपुरम, मदुरै, शिवगंगा, कन्याकुमारी, थेनी,थूथुकुडी और दलित बाहुल्य सीट विरुधुनगर समेत 11 सीटों पर दावा किया है। तमिलनाडु में बीजेपी को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सात फीसदी वोट मिलते रहे हैं। इस बार पार्टी एआईडीएमके के साथ गठबंधन कर सकती है। चुनाव से पहले ही पार्टी ने आईपीएस रहे के. अन्नामलाई को प्रदेश की कमान सौंपी है, जो तेजतर्रार माने जाते हैं। गोंडर जाति के प्रदेश अध्यक्ष के जरिये बीजेपी पिछड़े, ब्राह्णण और नाडार जातियों को लामबंद करने तैयारी कर रही है। इसके अलावा तमिल युवाओं और महिलाओं को लुभाने के लिए पीएम मोदी ने वाराणसी में दो बार तमिल संगमम भी कराया। इसके जरिये करीब 30 हजार तमिल खासकर युवाओं तक बीजेपी ने अपनी पहुंच बनाई। एक्सपर्ट मानते हैं कि तमिलनाडु में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने अग्रेसिव पॉलिटिक्स को बढ़ावा दिया है। कई मुद्दों पर बीजेपी ने अपने सहयोगी एआईडीएमके की परवाह भी नहीं की। इसके अलावा जिस तरह डीएमके नेता स्टालिन और ए. राजा ने सनातन के लिए बयानबाजी की, उससे भी बीजेपी को फायदा हुआ है। बीजेपी चाहती है कि लोकसभा चुनाव द्रविड़ बनाम सनातन हो, तब पार्टी को सात सीटों का लक्ष्य पाना आसान हो जाएगा।
आंध्रप्रदेश में पांच सीटों का लक्ष्य, जगन से नहीं होगी फ्रेंडली फाइट
2019 में आंध्र की लोकसभा की 25 सीटों पर जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने 22 सीटें जीत थीं। चुनाव से पहले टीडीपी और बीजेपी ने एक साथ आने के संकेत दिए हैं। इसके अलावा पवन कल्याण की जनसेना के साथ भी बीजेपी ने गठबंधन किया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जगन मोहन रेड्डी ने कभी केंद्र में बीजेपी का विरोध नहीं किया। बड़े मौकों पर पार्टी बीजेपी के साथ दिखी, मगर लोकसभा चुनाव में बीजेपी जगन मोहन रेड्डी से फ्रेंडली फाइट के मूड में नहीं है। पार्टी ने 10 लोकसभा सीट की पहचान की है, जहां अगले चुनाव में कैंडिडेट उतारे जा सकते हैं। इनमें अराकू, राजमपेट, काकीनाड़ा, विशाखापत्तनम, तिरूपति, हिंदूपुर, कुरनूल, नरसपुर, अनाकापल्ली, राजमहेंद्रवरम शामिल हैं। पार्टी का मानना है कि अराकू, काकीनाडा, विशाखापत्तनम, अराकू और राजमपेट लोकसभा सीट पर जीत का परचम लहराया जा सकता है। इन क्षेत्रों में आरएसएस और वनवासी कल्याण आश्रम की पहुंच ग्राउंड लेवल पर है। गठबंधन के सहयोगी सिने स्टार पवन कल्याण कापू जाति आते हैं। अगर चंद्राबाबू नायडू की टीडीपी से समझौता हुआ तो जीत आसान हो जाएगी।
तेलंगाना में कड़ा मुकाबला, सीट डबल करने का लक्ष्य
तेलंगाना की 17 लोकसभा सीट हैं और विधानसभा चुनाव के परिणाम से उत्साहित बीजेपी को उम्मीद है कि वह लोकसभा चुनाव में 7-8 सीटें जीत सकती है। पिछले चुनाव में बीजेपी को चार सीटें मिली थीं। बंडी संजय कुमार, अरविंद धर्मपुरी, जी किशन रेड्डी और सोयम बापू राव चुनाव जीतने में सफल रहे। अदिलाबाद, करीमनगर, निजामाबाद और सिकंदराबाद की सीटें भाजपा के खाते में आई। पार्टी महबूबनगर लोकसभा सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी। दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 8 विधानसभा सीटें जीतीं और पार्टी का वोट प्रतिशत 14 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा करीब छह सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही। विधानसभा चुनाव में सत्ता बदलने के बाद तेलंगाना के समीकरण भी बदल गए हैं। अब वहां त्रिकोणीय संघर्ष होंगे।