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अमेरिका ने 50 साल के बाद एक बार फिर से लॉन्च किया मून मिशन

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वॉशिंगटन
 चांद पर लैंडिंग के लिए लॉन्च हुए अमेरिका के पेरेग्रीन अंतरिक्ष यान में खराबी आ गई है। यह अंतरिक्ष यान माउंट एवरेस्ट का टुकड़ा, वैज्ञानिक प्रयोग, पृथ्वी से संदेश और मानव अवशेष लेकर चंद्रमा की ओर जा रहा था। लेकिन उसके प्रोपेलेंट में समस्या आ गई है। इसे बनाने वाली कंपनी एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी ने इसकी पुष्टि की है। 50 वर्षों में यह अमेरिका का पहला चंद्रमा लैंडर है।  सुबह फ्लोरिडा से यह अंतरिक्ष यान लॉन्च हुआ था। लेकिन लॉन्च के 24 घंटे से भी कम समय में यह मिशन खतरे में आ गया है।

अंतरिक्ष यान की लॉन्चिंग के कुछ ही घंटों के बाद एस्ट्रोबोटिक ने घोषणा की कि मिशन खतरे में है। कंपनी ने कहा कि अपने बूस्टर से अलग होने के बाद लैंडर को एक समस्या का सामना करना पड़ा जो संभवतः फ्यूल टैंक में खराबी थी। इसमें खराबी के कारण अंतरिक्ष यान को बैट्री चार्ज करने के लिए सूर्य की दिशा में नहीं किया जा सका। कंपनी का प्लान था कि 23 फरवरी को इसे चांद की सतह पर उतारा जाए। फिलहाल यह चंद्रमा की ओर चक्कर लगा रहा है। चांद पर लैंडर उतारने से जुड़ा लॉन्च पिछले साल रूस ने भी किया था। 50 साल बाद रूस ने चांद के लिए मिशन लॉन्च किया था। हालांकि उसके लूना-25 को कामयाबी नहीं मिली थी।

क्या हुई गड़बड़
एस्ट्रोबोटिक के अनुसार पेरेग्रीन की पहली तस्वीर में मल्टी लेयर इंसुलेशन (MLI) कथित तौर पर गड़बड़ दिख रहा था। उनके मुताबिक प्रोपेलेंट में खराबी इसी वजह से हो सकती है। कंपनी ने बताया कि पहले कम्युनिकेशन ब्लैकआउट से गुजरने के बाद अब अंतरिक्ष यान की बैट्री पूरी तरह चार्ज हो गई है। कंपनी ने कहा, 'जितना संभव हो उतना अंतरिक्ष यान संचालन करने के लिए पेरेग्रीन की मौजूदा शक्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है।' पेरीग्रीन के सोलर पैनल को सूर्य की दिशा में करने के लिए दूसरा तरीका वैज्ञानिकों ने इस्तेमाल किया।

40 घंटे चल सकते हैं थ्रस्टर्स
नासा ने इसे लेकर ट्वीट किया, 'अंतरिक्ष कठिन है। हम प्रोपेलेंट में समस्या के मूल कारण की पहचान करने और इसका मूल्यांकन करने के लिए एस्ट्रोबोटिक के साथ काम कर रहे हैं।' कंपनी ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'ईंधन रिसाव के कारण पेरेग्रीन लैंडर के एटीट्यूड कंट्रोल सिस्टम के थ्रस्टर्स को अच्छी तरह निर्धारित करना पड़ रहा है।' उन्होंने आगे यह भी कहा कि थ्रस्टर्स सिर्फ 40 घंटे चल सकते हैं। कंपनी को नासा के पांच वैज्ञानिक उपकरणों के लिए 108 मिलियन डॉलर का भुगतान किया गया था।

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