नई दिल्ली
स्विट्जरलैंड के साथ बड़े व्यापार घाटे और उसके द्वारा एक जनवरी से सभी देशों के लिए लगभग सभी औद्योगिक वस्तुओं पर आयात शुल्क हटाने के फैसले से ईएफटीए ब्लॉक के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत भारत का लाभ सिमट जाएगा। जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा प्रारूप में व्यापार समझौते से भारतीय निर्यात को मदद नहीं मिलेगी और इसके चलते आयात और व्यापार घाटा बढ़ेगा। भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) कहा जाता है। एफटीए वार्ता जनवरी, 2008 में शुरू की गई थी। ईएफटीए के सदस्यों में आइसलैंड, लीकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
जीटीआरआई ने कहा, ''ईएफटीए के साथ समझौते में संतुलित परिणाम प्राप्त करने में भारतीय पक्ष को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें ईएफटीए के पक्ष में बड़े व्यापार घाटे, किसी भी देश से सभी औद्योगिक वस्तुओं के लिए शुल्क-मुक्त प्रवेश की अनुमति देने की स्विट्जरलैंड की नई नीति और भारत के लिए सीमित लाभ की चिंताएं हैं।''
रिपोर्ट कहती है कि इन कारकों की वजह से ईएफटीए के साथ एफटीए में भारत को लाभ के समान वितरण पर सवाल खड़ा होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को व्यापार संतुलन, घरेलू हितों की रक्षा और निष्पक्ष और लाभकारी समझौते को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन वार्ताओं को आगे बढ़ाना चाहिए।
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ''स्विट्जरलैंड के इस फैसले का भारत-ईएफटीए मुक्त व्यापार समझौते में भारत के लाभ पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।'' उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के स्विट्जरलैंड को 1.3 अरब डॉलर के निर्यात में औद्योगिक वस्तुओं का हिस्सा 98 प्रतिशत था।