नई दिल्ली
कोविड-19 से जिन क्षेत्रों पर सबसे अधिक मार पड़ी थी, उनमें हॉस्पिटैलिटी सेक्टर भी एक था। लेकिन, पिछले दो वर्षों में इस सेक्टर ने तेजी से विकास किया है और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। पिछले दो वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में कुल मिलाकर अप्रैंटिस और ट्रेनी की नियुक्तियां 54% अधिक हुई हैं। लेकिन, इसी दौरान इसी कैटिगरी में नियुक्तियों में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 271% की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप के VP धृति प्रसन्ना महंत ने कहा कि टूरिज्म में उछाल के कारण तेजी से नियुक्तियां हुई हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एंट्री लेवल की नौकरियों में सबसे तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हुई है। भारत में कुल अप्रैंटिस में टूरिजम और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का योगदान पिछले दो वर्षों में 5.4 गुना बढ़ गया है। 2020-21 में यह 0.4% था, जो 2022-23 में 2.4% हो गया। होटल व्यवसायियों का कहना है कि यह हॉस्पिटैलिटी का रुतबा लौटने का संकेत है।
आगे भी तेजी रहेगी बरकरार
हिल्टन इंडिया के VP (HR) साबू राघवन ने कहा, संगठित होटल क्षेत्र में यह स्थिति 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है। वहीं, कुछ अन्य का कहना है कि विकास की यह गति लंबे समय तक कायम रहेगी। साउथ इंडिया होटल्स ऐंड रेस्टोरेंट्स असोसिएशन के ऑनरेरी सेक्रेटरी टी नटराजन के अनुसार, नए होटल खोलने और हॉस्पिटैलिटी में नौकरियां बढ़ने का यह चलन 2030 तक जारी रहेगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि टियर-2 और 3 शहरों में नए होटल खुलना जारी रहेगा। बढ़े टूरिजम ने हॉस्पिटैलिटी में नए निवेश को जन्म दिया है। जुलाई-सितंबर 2023 में संगठित होटल क्षेत्र में 2,400 कमरों के साथ 34 होटल खुले। इनमें से 80% से अधिक प्रतिष्ठान टियर-2 और 3 शहरों में हैं।
सैलरी में हुआ इजाफा
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के जानकारों का कहना है कि नौकरी में बढ़ोतरी के साथ वेतन वृद्धि भी आती है। लिहाजा, ट्रेनी के स्टाइपेंड में 15% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, परमानेंट और स्किल्ड कर्मचारियों के लिए कंपनियों ने 8-10% की उदारता दिखाई है। यही नहीं, जहां पहले एंट्री लेवल के नियुक्तियां सीजनल होती थीं, वहीं अब यह साल भर हो रही हैं। हाल ही में होटल असोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत की GDP में होटल उद्योग का प्रत्यक्ष योगदान 2047 तक एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसमें वर्क फोर्स की जरूरत में कम से कम 25% की बढ़ोतरी होगी।