भोपाल
जिलों के कलेक्टरों-कमिश्नरों के बाद अब मंत्रालय और विभागाध्यक्ष स्तर पर बड़े प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी है। मोहन कैबिनेट के सभी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा किया जा चुका है। अब इन विभागों में लंबे समय से जमे एसीएस, पीएस, सचिव और विभागाध्यक्षों के विभागों में फेरबदल किया जाएगा। मंत्रियों की पसंद-नापसंद के हिसाब से भी अफसरों को बदला जाएगा। अगले सप्ताह मकर सक्रांति को या उसके एक दिन पहले एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी हों सकती है। प्रदेश में छह जनवरी से मतदाता सूची का संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान प्रारंभ हो चुका है। मतदाता सूची के प्रारंभिक प्रकाशन के बाद अब मतदाताओं के नाम जोड़ने, घटाने और संशोधन का काम 22 जनवरी तक होना है इसके बाद अपडेट मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 8 फरवरी को होगा। यह सारे काम कलेक्टरों की निगरानी में होते है इसलिए इस दौरान कलेक्टरों और मतदाता सूची के काम में लगे अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले नहीं हो सकेंगे। जरुरत पड़ी तो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की सहमति से ही ये तबादले हो सकेंगे।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले एमपी को मिलेगा नया मुख्य सचिव
प्रभारी मुख्य सचिव वीरा राणा इस साल मार्च में सेवानिवृत्त हो रही है। इस बीच यदि केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अनुराग जैन को मध्यप्रदेश का मुख्य सचिव बनाने के लिए मध्यप्रदेश बुलाने पर केन्द्र और राज्य के बीच सहमति बन जाती है तो सबसे पहले मुख्य सचिव स्तर पर बदलाव हो सकता है। अनुराग जैन प्रदेश के नये मुख्य सचिव बनाए जा सकते है। ऐसे में वीरा राणा उनके मूल विभाग माशिमं अध्यक्ष की जिम्मेदारी पूर्ववत देखती रहेंगी।
मंत्रालय में लंबे समय से जमे अफसरों के बदलेंगे विभाग
स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी यहां दिसंबर 2018 से पदस्थ है। उन्हें यहां पांच साल से अधिक समय हो चुका है इसलिए विभागीय फेरबदल में उन्हें सबसे पहले यहां से हटाकर किसी दूसरे विभाग की जिम्मेदारी दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान मई 2020 से स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और प्रवासीय भारतीय विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे है। अप्रैल में उन्हें यहां तीन साल पूरे हो जाएंगे। इस हिसाब से उनके विभाग बदले जा सकते है। सीएम सचिवालय में प्रमुख सचिव और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव रहे मनीष रस्तोगी को वहां से हटाने के बाद अभी तक कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। उन्हें भी किसी बड़े विभाग की जिम्मेदारी सौपी जा सकती है। उर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे को भी मई में तीन साल पूरे हो रहे है इसलिए उनको भी अन्य विभागों में पोस्टिंग दी जा सकती है गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा को अगस्त में यहां तीन साल पूरे हो रहे है। उन्हें फिलहाल नहीं बदला जाएगा लेकिन कुछ और प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है। वाणिज्य कर विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को अगस्त में तीन साल यहां पूरे हो जाएंगे। उनका विभाग भी बदला जा सकता है। पर्यटन और संस्कृति विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे शिवशेखर शुक्ला के भी अगस्त में तीन साल पूरे हो जाएंगे। उनको भी दूसरे विभाग की जिम्मेदारी सौपी जा सकती है। राज्यपाल के प्रमुख सचिव डीपी आहूजा को यहां साढ़े तीन साल से पदस्थ है। यहां राज्यपाल की पसंद से किसी दूसरे अधिकारी की पदस्थापना की जा सकती है। लोकायुक्त कार्यालय में सचिव अरुणा गुप्ता को यहां जमे साढ़े तीन साल हो चुके है इसलिए उन्हें भी बदला जा सकता है।
एक से अधिक विभागों वाले अफसरों पर भी नजर
प्रशासनिक सर्जरी में ऐसे अफसरों पर भी नजर है जिनके पास एक से अधिक विभाागों की जिम्मेदारी है। उनसे कुछ जिम्मेदारियां वापस ली जा सकती है। वन और उद्यानिकी विभाग की जिम्मेदारी देख रहे जेएस कंसोटिया, कृषि और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी देख रहे अशोक बर्णवाल, गृह, परिवहन विभाग की जिम्मेदारी देख रहे राजेश राजौरा, वाणिज्य कर और महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी देख रही दीपाली रस्तोगी, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग की जिम्मेदारी देख रहे मनु श्रीवास्तव से कुछ विभागों की जिम्मेदारी वापस ली जा सकती है। गुना बस-डंपर कांड के बाद गुना कलेक्टर के पद से हटाए गए तरुण राठी को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। गोपाल चंद्र डांड को रीवा कमिश्नर बनाए जाने के बाद चिकित्सा शिक्षा आयुक्त का पद खाली पड़ा है।