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खेलगढिया योजना में भ्रष्टाचार की जांच में DMC श्याम चन्द्राकर को ठहराया दोषी

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डीएमसी ने बताया एकपक्षीय जाँच कार्यवाही की गई ,खेल सामाग्री के जगह ले लिए स्मार्ट टीवी

कन्हैया तिवारी की रिपोर्ट
गरियाबंद । राज्य सरकार की महत्वपूर्ण खेलगढिया योजना में गरियाबंद जिले के अधिकारियों ने पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है , मामला सुर्खियों में आने के बाद भी लगातार लीपा पोती जारी है। राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा प्राथमिक ,माध्यमिक ,हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी स्कूलों के लिये खेलगढिया मद अंतर्गत वर्ष 2019 – 20 में राशि जारी की गई थी। गरियाबंद जिले को इस योजना के तहत एक करोड़ अट्ठाइस लाख पांच हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई थी , इस बजट का मूल उद्देश्य बच्चों के लिए खेल खेलने हेतु स्थानीय उपलब्ध संसाधनों से खेलों को बढ़ावा दिया जाना है ,किन्तु योजना के मूल उद्देश्य तथा शासन के दिशा निर्देशों को दर किनार कर मनमानी की गई। इतनी ही नही सम्बन्धीत विभाग के अधिकारी के मौखिक निर्देश में कर्मचारियों ने तो खेल सामाग्री के जगह स्मार्ट टीवी खरीद तो ली अब मुसीबत में फस गए , बड़े अधिकारी अपनी वाहवाहि लेने के लिए स्कूल में एक रूम को स्मार्ट क्लास बनाने की भी सोच लिए ओर जिला भर के संबंधित संकुल समन्वयक की एक बैठक ब्लॉक वार लेकर अपने अपने स्कूल में स्मार्ट टीवी लेने को निर्देशित कर दिए उसके बाद संकुल समन्वयक की क्या तेवर देखने को मिला कि संबंधित स्कूल के प्रधानपाठक संकुल समन्वयक से परेशान होकर टीवी ले लिए ,इतना ही नही की जो संबंधित व्यक्ति टीवी नही लिए थे उनको टीवी लेने को भी देवभोग के संकुल समन्वयक ने दवाव डाल दिये और ऐसा ही जिले के मैनपुर ब्लॉक में इस मद की राशि से खेल सामग्री के बजाये, स्मार्ट क्लास के लिये टीवी खरीदी के मौखिक निर्देश दिये गये। मामला सुर्खियों में आने के बाद कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर चार सदस्यीय जिला स्तरीय जांच समिति गठित की कर दी गई। इस जांच कमेटी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार ,शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत खेलगढिया योजना का मूल उद्देश्य स्थानीय उपलब्ध संसाधनों से स्थानीय खेलो को बढ़ावा दिया जाना है , इसके लिये शासन द्वारा कंडिकावार निर्देश भी जारी किये गये है , जांचकर्ताओं के अनुसार निर्देशों के अक्षरशः पालन की जवाबदारी संबंधित जिला अधिकारी की होती है किन्तु प्राम्भिक जांच के दौरान दर्ज बयान एवं उपलब्ध दस्तावेजी साक्ष्यों के अनुसार डिस्ट्रिक्ट मिशन कोआर्डिनेटर श्याम चन्द्राकर द्वारा योजना के समुचित क्रियांवन्यन किये जाने के स्थान पर स्मार्ट क्लास हेतु खेलगढिया मद की राशि से टीवी की खरीदी के लिये मौखिक निर्देश व प्रोत्साहन दिया जाता रहा था । इस तरह जिला मिशन समन्वयक द्वारा खेलगढिया योजना के मूल उद्देश्यों की आकांक्षाओ को हतोत्साहित किया गया।

174 स्कूलों में खरीदा गया टीव्ही :- विदित हो कि गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के 256 प्राथमिक शालाओं एवं 118 माध्यमिक शालाओं को लगभग 25 लाख रुपये जारी किये गये थे , इस राशि से स्कूलों में खेल सामग्री क्रय की जानी थी , किन्तु 6 अगस्त 2020 को जिला स्तरीय जांच कमेटी के प्रारम्भिक जांच प्रतिवेदन के अनुसार 122 प्राथमिक व 52 मध्यमिक स्कूलों में टीव्ही खरीदा गया। जबकि 78 प्राथमिक व 43 माध्यमिक शालाओं में खेल सामग्री क्रय की गई।

जिला के मैनपुर के सम्बंधित अधिकारी कर्मचारी का बयान दर्ज किया गया :- मैनपुर विकास खंड में 23 संकुल है। जिला स्तरीय जांच समिति द्वारा इनमें से 19 संकुल समन्वयकों तथा तत्कालीन बीआरसीसी अयोध्या राम टांडिया के अतिरिक्त 41 प्राथमिक व 36 माध्यमिक शालाओं के प्रधान पाठकों के लिखित बयान दर्ज किये।
संकुल समन्वयकों से प्राप्त लिखित बयान के अनुसार उन्हें जिला मिशन समन्वयक श्याम चन्द्राकर द्वारा द्वारा बैठक में टीव्ही क्रय करने के लिये मौखिक रूप से निर्देशित किया जाता रहा।
जांच कर्ताओं का अभिमत है कि नियमानुसार निर्धारित मद से प्राप्त राशि से उसी मद में सामग्री क्रय किया जाना बाध्यकारी व बंधनकारी होता है।

अपने सफाई में क्या कहते हैं संबंधित अधिकारी :- इस मामले में डीएमसी श्याम चन्द्राकर ने कहा कि जांच एक पक्षीय हुई है। मैंने सरकार की योजना अनुसार दीक्षा एप के माध्यम से स्कूलों में स्मार्ट क्लास लगाने की जानकारी दी तथा इसके लिए प्रेरित किया। शिक्षा का स्तर बढ़ाने नवाचार की जानकारी देना और इसके लिये प्रेरित करना मेरा कर्तव्य है।

नव पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी करमन खटकर के अनुसार तो किसी तरह की जांच रिपोर्ट उनके समक्ष प्रस्तुत ही नहीं हुई है। कहा यदि ऐसी कोई रिपोर्ट मुझ तक आती है तो उसे आगे कार्यवाही के लिए बढ़ाया जायेगा।