इंदौर
इंदौर में हनुमान अष्टमी के अवसर पर रणजीत हनुमान की भव्य प्रभात फेरी गुरुवार सुबह पांच बजे प्रारंभ हुई। एक लाख से ज्यादा भक्त प्रभात फेरी में चले। 10.15 बजे रणजीत हनुमान मंदिर पहुंचे। इस बार यात्रा भगवान राम को समर्पित रही।
इंदौर का पश्चिमी क्षेत्र गुरुवार सुबह भक्ति भाव में रमा हुआ था। हजारों लोग रणजीत हनुमान की प्रभातफेरी में शामिल हुए। सर्द हवा और कोहरे के बीच पौ फटते ही आतिशबाजी का दौर शुरू हो गया। जय रणजीत-जय रणजीत के गगनभेदी नारे उत्सव के उत्साह को दोगुना कर रहे थे। प्रभातफेरी में ज्यादातर भक्त भगवा रंग के वस्त्र धारण कर नंगे पैर शामिल हुए।
प्रभातफेरी में आकर्षण का केंद्र अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की वृहद प्रतिकृति रही, जो रणजीत हनुमान के स्वर्ण रथ के आगे चल रही थी। 21 फीट ऊंची मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण बंगाल के कलाकारों ने किया सुबह पांच बजे रणजीत हनुमान मंदिर से प्रभातफेरी शुरू हुई।
जोरदार आतिशबाजी के साथ मंदिर के सामने ही प्रभातफेरी का स्वागत हुआ। प्रभातफेरी रणजीत हनुमान मंदिर से शुरू होकर उषा नगर मार्ग, महूनाका, अन्नपूर्णा माता मंदिर, नरेंद्र तिवारी मार्ग होते हुए मंदिर पहुंचेगी। मंदिर से महूनाका चौराहा तक पहुंचने में प्रभातफेरी को डेढ़ घंटे का समय लगा। प्रभातफेरी ने पांच घंटे बाद मंदिर पहुंची।
मार्ग पर सजे खान-पान के स्टाॅल
प्रभातफेरी में शामिल होने वाले लोगों के लिए रहवासियों ने अलग-अलग स्टाॅल लगाए थे। कोई फ्रूट सलाद की थाल सजाए बैठा था तो कोई दोने में गाजर का हलवा भर-भर कर आने जाने वाले भक्तों को दे रहा था। प्रभातफेरी के स्वागत के लिए 100 से ज्यादा स्वागत मंच लगाए गए थे। ज्यादातर मंचों पर अलग-अलग व्यंजन रखे गए थे।
मार्ग पर आकर्षक रोशनी की गई थी और जैसे ही रथ मंचों के करीब आ रहा था तो आतिशबाजी से आसमान को रोशन किया जा रहा था। प्रभातफेरी मार्ग को भगवा ध्वजाओं से सजाए गया था। रणजीत भक्त मंडल के 2 हजार सदस्य प्रभातफेरी की व्यवस्था संभाल रखी थी। वे खुद नंगे पैर यात्रा में मोटा रस्सा पकड़ कर चल रहे थे।
प्रभातफेरी में हनुमान की झांकी,भजन मंडलियां भी शामिल थी। पुजारी पं. दीपेश व्यास रथ के आगे चल रहे थे। उनके साथ विधायक मालिनी गौड़, विधायक गोलू शुक्ला व अन्य जनप्रतिनिधि शामिल थे। रणजीत हनुमान मंदिर से प्रभातफेरी निकालने की परंपरा 137 साल पुरानी है। पहले रणजीत हनुमान की तस्वीर लेकर मंदिर परिसर में ही पैदल परिक्रमा लगाई जाती थी, लेकिन बाद में प्रभातफेरी का स्वरुप बढ़ता गया। अब हजारों लोग प्रभातफेरी में शामिल होते है।