भोपाल
नये साल में अब जल्द ही शहर में साल 2020 में हुए प्रतिमा विसर्जन घोटाले के दोषियों पर गाज गिरने वाली है। इसकी जांच तकरीबन पूरी हो गयी है और इसमें जल्द ही दोषियों पर गाज गिरेगी। गौरतलब है कि गत सितंबर 2023 में यह मामला उजागर होने के बाद नगर निगम कमिश्नर फ्रैंक नोबल ए ने मामले की जांच की जिम्मेदारी निगम अपर आयुक्त निधि सिंह को दो महीने पहले सौंपी थी। कमिश्नर चाहते थे कि टेंडर से जुड़े दस्तावेजों का परीक्षण तेजी से कराया जाए, ताकि पता चल सके कि कब-कब पोकलेन मशीनों को किराया पर लिया गया है। किन दरों पर लिया गया। इस मामले में सभी पहलुओं की जांच कराई गयी है। निगम से जुड़े सूत्रों के अनुसार इसकी जांच रिपोर्ट तैयार हो कर कमिश्नर के पास पहुंच गयी है।
झील संरक्षण प्रकोष्ठ पर हैं निगाहें
प्रतिमा विसर्जन के मामले में कमाई करने वाले झील संरक्षण प्रकोष्ठ के अधिकारियों पर सबकी निगाहें हैं, क्योंकि उस समय इसी ने इस काम को अंजाम दिया था। अब देखना यह है कि इसमें इन्वाल्व अधिकारियों और ठेकेदारों से पूछताछ के बाद उनके खिलाफ क्या कार्यवाही होती है। गौरतलब है कि पिछले साल प्रकोष्ठ से काम लेकर नगर निगम ने इसको अपनी ही वर्कशॉप की मशीनों से करवाया था।
गणपति और प्रतिमा विसर्जन के लिये नगर निगम ने 9 पोकलेन मशीनें 15 लाख रुपए में किराए पर ली थीं, ज्यादा काम दिखाकर 30 लाख पेमेंट किया। निगम ने 2021 में बिना टेंडर वीर इंजीनियरिंग वर्क्स को विसर्जन घाटों पर 9 पोकलेन मशीनें लगाने जिम्मा सौंपा था। अफसरों ने एक नोटशीट चलाई, इसमें कहा गया-विसर्जन के लिए समय कम बचा है, इसलिए 2020 में जिस फर्म को घाटों पर प्रतिमाओं के विसर्जन का काम दिया था, उसी फर्म की 9 मशीनें पुरानी दरों पर 2021 में भी लगाई जा रही हैं। फिर 2023 में पोकलेन मशीनों के लिए 14.20 लाख रुपए का टेंडर निकाला और काम भी पूरा हुआ। पर 2022 में यही काम 30.45 लाख रुपए में किया गया था।